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अंबिकापुर

धूप, बारिश या फिर हो कड़ाके की ठंड, नहीं रूकते स्वच्छता दीदियों के कदम, इनके काम को हर कोई करता है सलाम

International Women’s day: महिला सशक्तिकरण की मजबूत पहचान बन चुकीं हैं स्वच्छता दीदियां, घर-घर कचरा कलेक्शन कर स्वच्छता दूत बन गईं हैं 470 ग्रामीण महिलाएं, इनकी ही बदौलत स्वच्छता में अंबिकापुर का पूरे देश में बज रहा डंका

अंबिकापुरMar 08, 2020 / 05:21 pm

rampravesh vishwakarma

धूप, बारिश या फिर हो कड़ाके की ठंड, नहीं रूकते स्वच्छता दीदियों के कदम, इनके काम को हर कोई करता है सलाम

Cleanliness Didi’s

अंबिकापुर। धूप, बारिश हो या फिर कड़ाके की ठंड, स्वच्छता में दूसरे शहरों व राज्यों के लिए रोल मॉडल बन चुकीं स्वच्छता दीदियों के कदम कभी नहीं रूकते। रूकें भी कैसें, जीवन में गरीबी सहित तमाम सामाजिक परेशानियों से लड़ते हुए ये मुकाम जो पाया है। पिछले 5 साल से निरंतर कड़ी मेहनत से घर-घर कचरा कलेक्शन कर अंबिकापुर का नाम पूरे देश में रोशन कर रहीं स्वच्छता दीदियां आज महिला सशक्तिकरण की मजबूत पहचान बन चुकीं हैं।
एक महिला आईएएस ने इन्हें ऐसा प्रेरित किया कि अपने जीवन में कई कठिनाइयां झेलने वालीं ग्रामीण महिलाएं शहर के लिए स्वच्छता दूत बन चुकीं हैं, वे आत्मनिर्भर हैं तथा परिवार की आजीविका चलाने में बतौर मुखिया काम कर रहीं हैं। अफसर से लेकर जनप्रतिनिधि हों या फिर लोग, हर कोई इनके काम को सलाम करता है।
तात्कालीन सरगुजा कलक्टर ऋतु सैन की सोच ने अंबिकापुर की तस्वीर ही बदल दी। महिला आईएएस ने कलक्टर रहते हुए शहर को सबसे स्वच्छ व सुंदर बनाने की ठानी और इसका माध्यम चुना उन ग्रामीण महिलाओं को जो अपने जीवन में पारिवारिक गरीबी सहित तमाम तरह की कठिनाइयों का सामना कर रहीं थीं।
महिला आईएएस की प्रेरणा का ऐसा असर रहा कि आज 5 साल बाद ग्रामीण क्षेत्र की 470 महिलाएं आत्मनिर्भर बन गईं है और पूरे देश में स्वच्छता के क्षेत्र में अंबिकापुर का डंका बज रहा है। शहर को ये मुकाम हासिल करने में इन्हीं महिलाओं का हाथ है जो निरंतर कर्तव्य पथ पर अग्रसर हैं। इन्हें लोग आज स्वच्छता दीदियों के नाम से जानते हैं, ये वहीं महिलाएं हैं जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है।
धूप, बारिश या फिर हो कड़ाके की ठंड, नहीं रूकते स्वच्छता दीदियों के कदम, इनके काम को हर कोई करता है सलाम
एक समय में ऐसी पारिवारिक परिस्थितयां व उलाहना झेली है, जिसमें महिलाओं को भेदभाव की नजरों से देखा जाता है। शुरू में घर-घर कचरा उठाने के काम को करने के दौरान भी इन्हें हिचक व अनजाने भय की परिस्थिति का सामना करना पड़ा, लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी।
कहते हैं न, जीवन में अगर कुछ कर गुजरने का ठान लिया तो फिर बड़ी से बड़ी बाधा भी लक्ष्य के सामने छोटी हो जाती है। आज ये स्वच्छता दीदियां महिला सशक्तिकरण की मजबूत पहचान बन चुकीं हैं।

स्वच्छता के लिए बनीं प्रेरणा
स्वच्छता के लिए महिलाएं लोगों की प्रेरणा बन गईं हैं। स्वच्छता दीदियों से प्रत्येक शहरवासी को अपने घर व आसपास को साफ-सुथरा रखने की सीख मिलती है। साथ ही लोगों को लाल व हरे डिब्बे में गीला व सूखा कचरा डालने की आदत भी इन्होंने ही डाली है।

करतीं हैं कठिन परिश्रम
किसी के घर का कचरा उठाना इतना आसान काम नहीं है, लेकिन स्वच्छता दीदियां तो पूरे शहर का कचरा उठाकर एसएलआरएम सेंटरों में ले जा रहीं हैं। इनके कदम कभी नहीं थकते। धूप, बारिश हो गया फिर ठंड, हर दिन नियमित रूप से घर-घर जाकर ये कचरा उठाती हैं।

यूजर्स चार्ज व कचरा विक्रय से साढ़े तीन करोड़ की आय
स्वच्छता दीदियों द्वारा नगर के समस्त 48 वार्डों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण एवं उसका उचित निपटान किया जाता है। इन स्वच्छता दीदियों के कार्य की बदौलत वर्ष 2015 से वर्तमान तक नगर पालिक निगम अंबिकापुर में यूजर्स चार्ज के रूप में लगभग 2 करोड़ एवं कचरे के विक्रय से लगभग डेढ़ करोड़ की आय अर्जित हुई है।
महिलाओं का यह समूह स्वच्छ अंबिकापुर मिशन स्तरीय नगर संघ के रूप में कार्य कर रहा है। सभी 470 महिलाओं को प्रति माह 7 हजार रुपए मानदेय मिलता है, जिससे ये अपनी व परिवार की आजीविका चलाती हैं।

इनकी बदौलत अंबिकापुर को मिले अवार्ड
1. वर्ष 2015 व 2016 में स्वच्छ भारत स्कॉच राष्ट्रीय अवार्ड
2. स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 में 2 लाख की जनसंख्या वाले श्रेणी के शहरों में प्रथम स्थान
3. स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में 2 लाख की जनसंख्या वाले शहरों में प्रथम स्थान
4. स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में 2 लाख की जनसंख्या वाले शहरों में प्रथम स्थान
5. स्वयं सहायता समूह की श्रेणी में स्वच्छता एक्सीलेंसी राष्ट्रीय पुरस्कार
6. अंतर्राष्ट्रीय थ्री आर फोरम में स्वच्छता एक्सीलेंसी अवार्ड

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