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अंबिकापुर

गोबर की लकड़ी से किया जा रहा अंतिम संस्कार, ढाई लाख की हुई कमाई

पर्यावरण संरक्षण के रूप में गोबर पहले से ही सार्थक सिद्ध होता आ रहा है, लेकिन अब इसका महत्व और भी बढ़ता जा रहा है। गोबर से खाद बनाने के साथ-साथ अंबिकापुर में मशीन के माध्यम से लकड़ी भी तैयार किया जा रहा है। इस लकड़ी का उपयोग पिछले 1 साल से श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए भी किया जा रहा है।

अंबिकापुरDec 30, 2022 / 08:00 pm

Ashok Kumar Vishwakarma

dung wood

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अंबिकापुर. पर्यावरण संरक्षण के रूप में गोबर पहले से ही सार्थक सिद्ध होता आ रहा है, लेकिन अब इसका महत्व और भी बढ़ता जा रहा है। गोबर से खाद बनाने के साथ-साथ अंबिकापुर में मशीन के माध्यम से लकड़ी भी तैयार किया जा रहा है। इस लकड़ी का उपयोग पिछले 1 साल से श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए भी किया जा रहा है।
यह शुद्धता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए काफी सार्थक सिद्ध हो रहा है। पिछले साल निगम ने गोबर की लकड़ी निर्माण कर ढाई लाख रुपए कमाए। गौरतलब है कि रायगढ़ में भी इसकी शुरुआत की गई थी जो सार्थक रही, जबकि कोरिया में यह सफल नहीं हो पाया। कोरबा जिले में भी गोबर से लकड़ी बनाने की शुरुआत की गई है।

अंबिकापुर नगर निगम द्वारा शहर के घुटरापारा स्थित गोठान में गोबर से लकड़ी बनाने प्लांट तैयार किया गया है। समूह की महिलाएं मशीन के माध्यम से गोबर व लकड़ी का बुरादा मिक्स कर ईंट के आकार की मोटी लकड़ी तैयार करती हैं। उक्त लकड़ी का उपयोग ठंडी में अलाव जलाने से लेकर श्मशान घाटों में भी किया जा रहा है।
इसके महत्व और उपयोगिता को देखते हुए इसकी शुरुआत कोरिया, रायगढ़, जशपुर, बलरामपुर व सूरजपुर में भी की गई है। कोरिया जिले में गोबर से लकड़ी बनाने के लिए मशीन लगाए गए हैं पर यहां इसका उपयोग लाश जलाने में नहीं किया जा रहा है। खपत नहीं होने के कारण प्लांट बंद पड़ा है।
1 साल में ढाई लाख की हुई कमाई
अंबिकापुर नगर निगम द्वारा 1 साल से गोबर से लकड़ी का निर्माण समूह की महिलाओं द्वारा कराया जा रहा है। समूह की महिलाओं द्वारा प्रतिदिन 6 से 7 क्विंटल गोबर से लकड़ी तैयार की जाती है। इसका सबसे अधिक उपयोग अंबिकापुर सहित आसपास के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए किया जा रहा है।
मुक्तिधाम में लगभग हर दिन 4 से 5 क्विंटल गोबर की लकड़ी की खपत है। पिछले साल 34 सौ क्विंटल गोबर की लकड़ी का निर्माण कराया गया था। इससे अंबिकापुर निगम को ढाई लाख रुपए की कमाई हुई है।
ठंड के दिनों में बढ़ जाती है खपत
तीन से चार महीने बारिश के दिनों में गोबर से लकड़ी बनाने का काम नहीं हो पाता है। इस वर्ष ठंडी का मौसम शुरू होते ही इसका निर्माण शुरु करा दिया गया है। ठंडी में इसकी खपत और ज्यादा बढ़ जाती है। नगर निगम में जगह-जगह अलाव जलाने से लेकर लोग अपने घरों में भी खरीद कर भी ले जाते हैं।
8 रुपए प्रति किलो बेची जाती है लकड़ी
गोदान नया योजना के तहत शासन द्वारा 2 रुपए प्रति किलो गोबर खरीदी की शुरुआत की गई है। इस गोबर से अंबिकापुर नगर निगम द्वारा इसका नवाचार कर मशीन से लकड़ी बनाने का कार्य किया जा रहा है, जो काफी सार्थक साबित हो रहा है।

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