सरगुजा जिले की बात की जाए तो यहां अब तक कोरोना के एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिले हैं, यह जिले के लिए राहत की बात है। कोरोना से संक्रमित व्यक्ति यदि यहां मिलता है तो प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने इसकी कितनी तैयारी कर रखी है? लॉकडाउन में लोगों की परेशानियों का कैसे समाधान किया जा रहा है? लोगों को और क्या निर्देश दिए जाने चाहिए जिससे कि कोरोना वायरस यहां तक न पहुंच सके।
इस संबंध में पत्रिका ने कलक्टर डॉ. सारांश मित्तर से चर्चा की। कलक्टर पत्रिका सरगुजा के फेसबुक पर लाइव होकर सवालों के जवाब दिए। आप भी पत्रिका सरगुजा के फेसबुक पेज पर जाकर कलक्टर से हुई चर्चा को देख सकते हैं।
पढ़ें कलक्टर से कोरोना पर हुई बातचीत के अंश-
ऐसे फैलता है कोरोना
कोरोना वायरस के संबंध में कलक्टर ने बताया कि यह एक डॉपलेट्स बेस इंफेक्शन है, इसका मतलब यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति बात करता है, छींकता है, इस दौरान उसके मुंह या नाक से ड्रापलेट डायरेक्ट चेहरे या शरीर पर पड़ता है या जमीन पर गिरे ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने के बाद कोई अपने नाक-मुंह को टच करता है तो वह भी संक्रमित हो जाता है। इससे बचने का तरीका है कि सोशल या फिजिकल डिस्टेंस रखें।
एक सुरक्षित डिस्टेंस 2 मीटर का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि जिले में कोई कोरोना संक्रमित मिलता है तो इसके लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही पूरी व्यवस्था है। ऐसे मरीज को किसी दूसरे जिले या एम्स रायपुर भेजने की जरूरत नहीं है। यहां 100 बेड का वार्ड व 20 बेड का आईसीयू भी तैयार है। उन्होंने बताया कि जिले से अब तक 60 लोगों के सैंपल लिए जा चुके हैं, इनमें से 52 के रिपोर्ट निगेटिव आए हैं, जबकि 8 के रिपोर्ट आने शेष हैं।
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लॉकडाउन का जिलेवासियों ने अच्छे से किया पालनकलक्टर डॉ. मित्तर ने कहा कि जिले में जिस तरह से इसका पालन अब तक किया गया है, यही कारण है कि कोरोना के एक भी पॉजिटिव केस यहां नहीं मिले। लॉकडाउन के दौरान शुरु से ही आवश्यक सेवा की दुकानें व प्रतिष्ठान खोलकर रखे गए थे, इस कारण यहां भीड़ वाली स्थिति नहीं बनी।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में जब बहुत ही जरूरी हो तभी बाहर निकलें। यदि बाहर निकल रहे हैं तो मास्क पहनकर निकलें। हाथों को साबुन से धोएं या सेनिटाइज करें। उन्होंने कहा कि लोगों को परेशानी न हो इसके लिए ‘छत्तीसगढ़ हाट’ भी शुरु करने जा रहे हैं। इसमें लोकल वेंडर्स को रजिस्ट्रेशन कर उनके माध्यम से सब्जियां घरों तक पहुंचाई जाएगी।
बाहर फंसे स्टूडेंट्स व लोगों के लिए ये कहा
कलक्टर ने लॉकडाउन में जिले या राज्य से बाहर रहकर पढ़ रहे विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि लॉकडाउन का मतलब है कि जो जहां है वहीं रहे और सुरक्षित रहें। इस दौरान किराए की मांग कोई नहीं कर सकता। यदि इसके बाद भी कोई परेशानी है तो हमें बताएं। हम वहां के प्रशासन से बात कर आपकी समस्या का समाधान कराएंगे।
अब तक कराते भी आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कोई निजी वाहन से यहां के लिए निकल रहा है तो राज्य या जिले की सीमा पर उन्हें रोक लिया जाएगा। ऐसे में वहां के प्रशासन की परेशानी और बढ़ जाएगी। ऐसे में यदि कोई संक्रमित होगा तो महामारी फैल सकती है। यदि बाहर से कोई जिले में आ भी गया है तो वह स्वयं प्रशासन को बताए। उन्होंने जिलेवासियों से भी अपील की है कि ऐसे लोगों की जानकारी वे दें।
1 संक्रमित व्यक्ति एक महीने में 406 लोगों को कर सकता है संक्रमित
कलक्टर ने बताया कि बाहर से आने वाले की सूचना हर हाल में प्रशासन-पुलिस को उपलब्ध कराएं। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति एक माह में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है। उन्होंंने बताया कि सरगुजा से सटे कोरबा जिले के कटघोरा में 25 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मिले हैं, लॉकडाउन में बॉर्डर पर सख्त पहरा दिया जा रहा है ताकि वहां से कोई जिले में प्रवेश न कर सके।
अतिथियों की तरह रखे जा रहे बाहरी राज्यों के श्रमिक
कलक्टर ने बताया कि ऐसे श्रमिक जो दूसरे राज्यों से अपने घर जा रहे थे और वे सरगुजा जिले में फंस गए हैं, उनके रहने, खाने की पूरी व्यवस्था की गई है। हमने जिले में 3 रिलीफ कैंप बनाए हैं, यहां लोगों को रखकर पूरी व्यवस्था दी जा रही है। उन्होंने बताया कि सीएम साहब के श्रमिकों के लिए स्पष्ट निर्देश हैं कि उन्हें अतिथियों की तरह रखा जाए।
इसी कड़ी में उनका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सबसे बड़े रिलीफ कैंप बिशुनपुर में दूसरी जगहों के 118 लोग हैं इनमें महिला-पुरुष व 18 बच्चे हैं। इनके खाने के अलावा योग, खेलकूद की भी व्यवस्था की गई है। वहीं सरगुजा जिले के दिहाड़ी श्रमिकों के लिए 9100 पैकेट राशन बनाकर वितरित किए जा रहे हैं।
यह स्वयंसेवी संस्थाओं, लोगों के सहयोग से इकट्ठा किया गया है। इसमें चावल, दाल, सब्जी व तेल हैं। राशन का यह पैकेट एक परिवार के 4 लोगों के लिए करीब 7-8 दिन तक खाने के लिए पर्याप्त है। वहीं संजीवनी योजना भी चलाई जा रही है।
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