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अंबिकापुर

CG elephants: कर्नाटक की तर्ज पर सरगुजा संभाग में हाथियों से व्यवहार करने की तैयारी शुरु, पहुंचे एक्सपर्ट

CG elephants: कर्नाटक के एक्सपर्ट डॉ. प्रयाग एचएस ने संभाग भर के वन अफसरों व कर्मचारियों को दिया प्रशिक्षण, हाथियों के हमले में लगातार हो रही मौतें बनी चिंता का सबब

अंबिकापुरAug 21, 2024 / 06:03 pm

rampravesh vishwakarma

CG elephants
अंबिकापुर. CG elephants: सरगुजा संभाग में हाथियों का आतंक पिछले कई दशकों से चला आ रहा है। कुछ दिन पूर्व हाथी के हमले में जशपुर जिले में एक ही परिवार के 4 सदस्यों की मौत हो गई थी। वहीं उसी दल का एक हाथी सीमा पार कर सरगुजा पहुंचा था जिसने लुण्ड्रा वन परिक्षेत्र में एक महिला को मौत के घाट उतारा था। संभाग में तीन से चार दिनों के अंदर हाथी (CG elephants) के हमले में 5 लोगों की मौत के से वन विभाग में हडक़ंप है। वहीं हाथियों के हमले सेे मौत की घटना से निजात पाने के लिए वन विभाग अब कर्नाटक की तर्ज पर काम करेगा।
हम आपको बता दें कि 10-15 वर्ष पूर्व हाथी प्रभावित क्षेत्र रहे कर्नाटक राज्य के एक्सपर्ट डॉ. प्रयाग एचएस ने मंगलवार को सरगुजा सीसीएफ कार्यालय के सभाकक्ष में संभाग भर के वन विभाग के अफसरों-कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि हाथी व मानव द्वंद (CG elephants) को रोकने के लिए निचले स्तर से काम करना होगा तभी रोकथाम संभव है।
डॉ. प्रयाग एचएस ने प्रशिक्षण के दौरान वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को बताया कि आज से 10 से 15 वर्ष यहां की तरह ही कर्नाटक में हाथी व मानव द्वंद था। हाथी (CG elephants) व मानव द्वंद रोकथाम के लिए शासन द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही थी। हाथी व मानव द्वंद को रोकनाथ के लिए सबसे अहम नीचले स्तर पर काम करना होगा।
CG elephants
इसके लिए पंचायत स्तर पर ग्रामीणों को जागरुक करना होगा तभी हाथी व मानव द्वंद रूक सकता है। वहीं वन विभाग के बीट गार्ड से लेकर अधिकारियों को भी जागरुक होना आवश्यक है। अगर क्षेत्र में हाथी आता है तो हडक़ंप न मचाएं।
ग्रामीणों को पंचायत के माध्यम से शांत रहने व हाथी (CG elephants) को देखने के लिए उसके पीछे न भागने के लिए जागरुक करना होगा। इसके लिए संस्थागत डेवलमेेंट किया जाना आवश्यक है।

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पंचायत स्तर पर लोगों को जागरुक करना आवश्यक (CG elephants)

हाथी व मानव द्वंद को रोकने के लिए विभाग को नीचे से ऊपर तक एक सिस्टम डवलप करना होगा। अगर हाथी क्षेत्र में घुसता है तो सबसे पहले ग्रामीणों को उसके पीछे भागने से रोकना होगा। इसके लिए पंचायत स्तर पर काम करने की जरूरत है। ग्रामीण फसल बचाने को लेकर हाथी के पीछे भागना शुरू कर दते हैं।
CG elephants
जबकि फसल नुकसान का मुआवजा भी विभाग द्वारा दिया जाता है। ये सारी जानकारी उन्हें देनी होगी। वहीं अगर क्षेत्र में हाथी ज्यादा आक्रोशित है तो मौके पर वेटनरी डॉक्टर, महावत तथा फिल्ड लोकेशन रहना चाहिए। ताकि आवश्यक पडऩे पर हाथी को ट्रेंकुलाइज आदि किया जा सके।
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CG elephants: क्षतिपूर्ति प्रकरण होंगे ऑनलाइन

डीएफओ तेजस शेखर ने बताया कि कर्नाटक की तर्ज पर सरगुजा में भी ऑनलाइन क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि हाथी के हमले में मौत के बाद ग्रामीण आक्रोशित रहते हैं।
वहीं ऑफलाइन क्षतिपूर्ति में कुछ विलंब हो जाता है। इस लिए उनका आक्रोश और ज्यादा बढ़ जाता है। अगर कर्नाटक की तर्ज पर ही ऑनलाइन रहेगा तो लोग अपने क्षतिपूर्ति की स्थिति को देख सकेंगे।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में 150 अधिकारी व कर्मचारी हुए शामिल

डीएफओ ने बताया कि एक दिवसीय प्रशिक्षण में पूरे संभाग भर से लगभग 150 वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए। आरओ, एसडीओ, सीएफओ, हाथी ट्रैकर, मुनादी दल, महावत सहित अन्य लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि कर्नाटक के एक्सपर्ट डॉ. प्रयाग एचएस द्वारा छत्तीसगढ़ के विभिन्न संभागों में प्रशिक्षण दिया जाना है।

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