विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी प्रदेश में नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है। इसका सीधा असर सरकारी कामकाज पर पड़ा है। ज्यादातर विभागों में अधिकारी व कर्मचारी अभी नई सरकार के गठन और उसके मुखिया के इंतजार में केवल जरूरी कामकाज ही निपटा रहे हैं। वहीं सरकार की याजनाओं एवं बड़े प्रोजेक्ट को लेकर अभी देखो और इंतजार करो की नीति अपनाए हुए हैं।
विधायकों की चिंता सीएम से कैसा रहेगा समन्वय इस बार विधानसभा चुनाव में निर्वाचित ज्यादातर भाजपा विधायकों की चिंता है कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, चेहरा सामने आने पर पता चल पाएगा कि उनसे कैसा समन्वय रह पाएगा। यही कारण है कि अलवर जिले के ज्यादातर निर्वाचित विधायक अभी मुख्यमंत्री को लेकर चुप्पी साधे हैं। कोई भी विधायक किसी भी सीएम दावेदार नेताओं के पक्ष में खुलकर नहीं बोल रहा है।
नए सीएम से बैठा तालमेल तो बढ़ सकता है कद भाजपा के ज्यादातर निर्वाचित विधायकों की बोलती इसलिए भी बंद है कि नया सीएम उनकी पसंद का बना और राजनीतिक तालमेल भी सही बैठा तो मंत्रिमंडल में जगह बनाने में आसानी हो सकेगी। यदि उनके बोल सीएम से तालमेल में आड़े आए तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। यही कारण है कि अलवर जिले से जीते भाजपा के पांच विधायक अभी मुख्यमंत्री को लेकर चुप्पी साधे हैं।
कांग्रेस नेताओं का भी घटनाक्रम पर ध्यान नई सरकार को लेकर प्रदेश में चल रहे घटनाक्रम पर भाजपा विधायकों की ही नहीं, बल्कि कांग्रेस से जीते विधायकों की भी नजर है। कुछ कांग्रेस नेता इन दिनों प्रदेश में भाजपा में चल रहे घटनाक्रम में फायदे की तलाश में हैं।