त्रिपोलिया का १२ लाख रुपए में जीर्णोद्धार होगा। जिसका कार्य पिछले एक माह से चल रहा है। नीचे के काफी हिस्से में रंगरोगन हो चुका है। सभापति ने बताया कि शहर में त्रिपोलिया मंदिर की अलग पहचान है। यहां भक्तों की हमेशा भीड़ रहती है। भगगवान जगन्नाथजी की रथ यात्रा के समय भी बड़ी संख्या में लोग त्रिपोलिया महादेव के दर्शन करने आते हैं।
त्रिपोलिया मंदिर की 17 साल बाद सुध ली गई है। इससे पहले वर्ष 2000 में मंदिर का रंग रोगन व कुछ आवश्यक कार्य कराया गया था। इस बार त्रिपोलिया को पूरे का आकर्षक बनाने का काम शुरू हो गया है। यह जगह पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों में शामिल है। तीन मंजिला इस जगह के ऊपर का आकर्षण भी कम नहीं है। गुम्बद बेहद आकर्षक है। अब इसके ऊपरी छत पर गमलों में पौधे भी रखवाए जाएंगे। जिनकी नियमित देखभाल भी होगी। ताकि त्रिपोलिया को हैरीटेज लुक भी मिल सके।
दिगम्बर जैन धर्मावलम्बियों की ओर से दशलक्षण पर्व के आठवें दिन शनिवार को शहर के विभिन्न जैन मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजन एवं विधान कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान आयोजित प्रवचन कार्यक्रमों विद्वानो ने श्रद्धालुओं को दशलक्षण पर्व के महत्व बताते हुए कहा कि मनुष्य चाहे कितना भी अपने को धर्मात्मा बना ले लेकिन यदि उसके जीवन में त्याग की भावना नहीं है तो उसके लिए पूजा पाठ सब बेगार है।