इन कारणों से बदली तस्वीर
समाज में बेटियों के प्रति जागरूकता बढ़ी है। शहरी क्षेत्र में कई ऐसे परिवार भी जहां केवल एक ही बच्चा है, वह भी लड़की। दंपती स्वेच्छा से दूसरा बच्चा पैदा नहीं करना चाहते।लड़कियों का हर क्षेत्र में आगे आना
न केवल शहरी क्षेत्र में बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियां पढ़-लिख रही हैं। नौकरीपेशा लड़कियों की संख्या बढ़ी है। पढ़ाई के साथ खेल-कूद में बालिकाएं अधिक संख्या में आगे आई हैं। सोनोग्राफी सेंटरों पर भ्रूण लिंग परीक्षण की जांच पर रोक लगी है। इसके साथ ही समय समय पर भ्रूण हत्या रोकने के लिए डिकॉय ऑपरेशन भी किए गए हैं।इनके कारण भी भ्रूण हत्या में तेजी से गिरावट आई और बेटियों ने जन्म लिया। बेटियों के जन्म पर पौधे लगाना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शपथ के साथ चिकित्सा विभाग, शिक्षा विभाग, महिला अधिकारिता विभाग सहित अन्य विभागों की ओर से बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
चिकित्सा विभाग की ओर से सोनोग्राफी सेंटरों पर लिंग परीक्षण पर रोक लगाई गई है। बालिकाओं के जन्म पर आर्थिक मदद दी जाती है। प्रत्येक ब्लॉक में उजाला क्लीनिक खोले गए हैँ। –डॉ. योगेंद्र शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अलवर