नीमराणा पंचायत समिति के गांव बसई भोपालसिंह में सत्यवीर सिंह का 15 अगस्त 1962 में जन्म हुआ। उनका बचपन से ही देश की सेवा करने का सपना था। 1982 में उनकी यह ख्वाहिश पूरी हो गई और वे 1982 में राजपुताना राइफल्स 2 बटालियन में सिपाही के पद पर भर्ती हो गए।
अकेले बोला दुश्मनों पर धावा
वीर सत्यवीर सिंह ने करगिल के युद्ध में पराक्रम दिखाते हुए अपने साथियों को पीछे छोड़ते हुए अकेले ही दुश्मनों के बंकर पर धावा बोल दिया था। अपने जान की परवाह ना करते हुए वे दुश्मनों पर कहर बनकर टूटे, उन्होंने कई पाकिस्तानियों को मार गिराया, लड़ते-लड़ते वे 28 जून 1999 को वे वीरगति को प्राप्त हो गए। उनकी शहादत से क्षेत्र के सभी लोगों की आंखें नम हो गई।
परिवार में है फौजी शहीद सत्यवीर सिंह चौहान के पिता सरदार सिंह स्वयं सेना में सिपाही थे। उनके भाई भी सेना में थे। सत्यवीर सिंह के चार बच्चे हैं जिसमें बेटी ओमबाई व रेखा है तथा पुत्र जगदीश सिंह व नाहर सिंह है। शहादत के समय बच्चे छोटे थे जिनका उनकी मां कृपादेवी ने पालन पोषण कर अपनी जिम्मेदारी निभाई। शहीद की अंत्येष्टि में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाग लेकर परिजनों को सांत्वना दी थी। परिवार को पत्रिका के जनमंगल ट्रस्ट की ओर से 51 हजार की सहायता दी गई थी जो परिवार के लिए बड़ा सहारा बनी