Tiger Captured In Rajasthan: रसोई में अचानक टाइगर को देखकर ओम प्रकाश के खड़े हो गए रोंगटे, जानिए कैसे पकड़ा गया बाघ ST-2402
Sariska Tiger Captured In Rajasthan: राजस्थान के अलवर जिले सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाहर निकलकर तीन दिन तक वन विभाग की टीम को छकाने वाले बाघ एसटी 2402 को आखिरकार ट्रेंकुलाइज कर लिया गया है।
Sariska Tiger Captured In Rajasthan: राजस्थान के अलवर जिले सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाहर निकलकर तीन दिन तक वन विभाग की टीम को छकाने वाले बाघ एसटी 2402 को आखिरकार ट्रेंकुलाइज कर लिया गया है। वन विभाग की टीम ने बाघ को सुबह करीब 9 बजे रैणी के चिल्कीबास से पकड़ा। जहां पर टाइगर एक फॉर्महाउस की रसोई में छिपा हुआ था। जिसे पकड़कर सरिस्का ले जाया गया और जंगल में छोड़ दिया।
बुधवार को टाइगर सरिस्का के जंगल से निकलकर बांदीकुई के महुखुर्द पहुंच गया। जहां पर उसने हमला कर तीन लोगों को घायल कर दिया था। इसके बाद दो दिन तक वन विभाग की टीम टाइगर को ट्रेंकुलाइज करने का प्रयास करती रही। लेकिन बाघ टीमों को छकाता रहा और इधर-उधर दौड़ता रहा।
गाड़ी से कूदते ही जंगल में भागा
टाइगर ST-2402 को शुक्रवार को रैणी के चिल्कीबास गांव में ट्रंकुलाइज करने के बाद वन विभाग की टीम सरिस्का के जंगल में छोड़ दिया है। टाइगर वन विभाग की गाड़ी से कूदते ही जंगल में चला गया।
रसोई में छिपा हुआ था टाइगर
चिल्कीबास निवासी ओमप्रकाश मीणा ने बताया कि वह फाॅर्म हाउस पर सो रहा था। रात में पता नहीं कब टाइगर घुस गया। सुबह किचन के गेट से टाइगर की दहाड़ सुनकर रौंगटे खड़े हो गए, क्योंकि किचन रसोई का गेट भी खुला पड़ा था।
इसके बाद सुबह 6 बजे वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। वन कर्मियों ने करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद टाइगर को ट्रैंकुलाइज किया। टाइगर का वजन करीब 200 किलो था, ऐसे में उसे गाड़ी में डालने के लिए 10 लोगों को मेहनत करनी पड़ी।
जहां-जहां से गुजरा टाइगर, वहां-वहां खौफ का माहौल
अलवर और दौसा सीमा क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में टाइगर के मूवमेंट से दहशत का माहौल हो गया। हर किसी के मन में यह डर हो गया कि कि रात को फिर बाघ कहां से निकलकर कौनसे इलाके में आ जाएगा।
22 माह के टाइगर ने खूब छकाया
पहली बार सरिस्का क्षेत्र से बाहर आए 22 माह के टाइगर ने बुधवार को वन विभाग की टीम की खूब भाग दौड़ कराई। तीन लोगों पर हमले के बाद टाइगर सरसों के खेतों में छिपा रहा, लेकिन एक जगह पर अधिक समय नहीं बैठने के कारण बाघ को ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सका।
अगले दिन गुरुवार सुबह महुखुर्द व निहालपुरा गांव के आसपास तलाश की। लेकिन टाइगर वन विभाग कर्मियों की आंखों से ओझल हो गया। दिनभर तलाश करती टीमें अलवर जिले में पहुंच गई। रात सवा नौ बजे फिर दौसा जिले के पातरखेड़ा गांव में टाइगर की मूवमेंट की सूचना पर टीम वहां पहुंची।
खेतों में पगमार्क तलाशे गए और पगमार्क के पीछे-पीछे टीमें कई गांवों से होती हुई गुजरी। शाम होते ही रेस्क्यू ऑपरेशन थम गया। लेकिन, शुक्रवार सुबह टाइगर को ट्रेंकुलाइज कर सरिस्का के जंगल में छोड़ दिया।
नए साल में पहला ऐसा मामला, पिछले साल कई मामले आए
ऐसा पहली बार नहीं है जब पैंथर जंगल छोड़कर बाहर निकले है। इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके है। लेकिन, नए साल में ये पहली बार है जब कोई टाइगर जंगल छोड़कर गांवों में घुसते हुए दौसा जिले की सीमा तक पहुंचा।
महीनेभर अलवर में घूमता रहा पैंथर
दिसंबर महीने में एक पैंथर सरिस्का से अलवर शहर की घनी आबादी में आ गया था। जिसे पकड़ने के लिए मेमना, मुर्गा और कुत्ता पिंजरे में बांधा गया था। लेकिन, एक महीने तक पैंथर ने खूब छकाया था। 31 दिसंबर को वन विभाग की टीम ने पैंथर को उस वक्त पकड़ा था, जब वह वनमंत्री के घर पास ही घूम रहा था।
उदयपुर जिले के गोगुन्दा इलाके में सितंबर महीने में तीन पैंथरों की वजह से दहशत का माहौल रहा था। 9 दिन के अंदर ही आदमखोर पैंथर के हमले में 6 लोगों की मौत हो गई थी।
जोधपुर में पैंथर के कारण 38 दिनों तक रही थी दहशत
जोधपुर में जून महीने और जुलाई के पहले सप्ताह तक एक पैंथर की वजह से दहशत का माहौल था। लेकिन, 38 दिन बाद उस पैंथर की मौत हो गई थी। भेड़िए में पाए जाना वाला इंफेक्शन पैंथर के शरीर में मिला था।