जिंदगी की जंग हारी मासूम
अचानक से बच्ची के रोने की और मां को आवाज लगाने की चीख सुनाई दी तो परिजन मौके पर पहुंचे। लगभग 1.30 मिनट के अंदर परिजनों ने आग को बुझा दिया, लेकिन मासूम सन्ना जिंदगी की जंग हार चुकी थी। मृतिका कूलर के पास चिपकी मिली। घटना की जानकारी मिलने के बाद गोविंदगढ़ तहसीलदार रमेश खटाणा और पटवारी मनीष मीणा मौके पर पहुंचे और मौका रिपोर्ट तैयार की।
कच्चे मकान में रहता था परिवार
अजरूद्दीन के मृतक बालिका सहित 3 बच्चे थे। वह झोपड़ीनुमा कच्चा मकान बनाकर रहता है, जो जलकर राख हो गया। घटना से 5 मिनट पहले ही मृतका की मां ने उसके भाई को रोने पर झोपड़ी से ले गई थी। आग से फोन, कूलर और घर में रखे 35000 रुपए, घरेलू सामान, अनाज राख हो गए।