प्रांरभिक जानकारी के अनुसार, बलजीत यादव और उनकी फर्म पर सरकारी परियोजनाओं में घटिया सामग्री की आपूर्ति करने का आरोप है। इस मामले में पहले से ही शिकायत दर्ज थी, जिसके तहत यह कार्रवाई की जा रही है। ईडी द्वारा यह कदम धनशोधन रोकथाम अधिनियम यानी पीएमएलए के तहत उठाया गया है।
बताया जा रहा है कि बलजीत यादव की फर्म ने विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के लिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति में अनियमितताएं की थीं। इसमें नकली बिलिंग, ठेकेदारों के साथ मिलीभगत और घटिया गुणवत्ता की सामग्री की सप्लाई जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। शिकायत के अनुसार, इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा। इसे लेकर पिछले दिनों एफआईआर भी दर्ज की गई थी।
जयपुर में 8, दौसा और अलवर में एक-एक ठिकानों पर ईडी की टीम दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों की जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और अन्य प्रमाण बरामद किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि बलजीत यादव बहरोड़ से विधायक रह चुके हैं और उनकी छवि एक मजबूत क्षेत्रीय नेता की रही है। हालांकि, इस मामले ने उनकी राजनीतिक साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि बलजीत यादव वहीं हैं जिन्होनें पिछली सरकार के कार्यकाल के समय भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला था। उन्होनें भ्रष्टाचार के खिलाफ काले कपड़े पहनकर जयपुर के एक मैदान में चौबीस घंटे तक दौड़ भी लगाई थी और साथ ही अपने इलाके मेंं पोस्टर लगवाए थे कि जो भी भ्रष्टाचार को उजागर करेगा उसे 51 हजार का इनाम दिया जाएगा। हांलाकि अब वे खुद ही भ्रष्टाचार में फंसते दिख रहे हैं। वे उस समय निर्दलीय विधायक थे।