एक्सप्रेस-वे पर बिक रही बिरयानी और शराब, सड़क किनारे वाहनों को खड़ा कर देने से बना रहता है हादसे का खतरा
संचालन जरूरी : सरिस्का टाइगर रिजर्व के अंदर पाण्डव काल का ऐतिहासिक पाण्डुपोल हनुमान मंदिर है। इस मंदिर की मान्यता अलवर, राजस्थान ही नहीं, बल्कि हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों तक है। इस कारण बड़ी संख्या में लोग ऐतिहासिक हनुमान मंदिर के दर्शन को हर मंगलवार, शनिवार एवं सप्ताह के अन्य दिनों में आते हैं। इस कारण पूरे सप्ताह सरिस्का में वाहनों की रेलमपेल रहती है। वाहनों की आवाजाही के चलते यहां वायु प्रदूषण होता है। इसके अलावा प्रतिदिन पर्यटक जिप्सी एवं केंटर में जंगल सफारी के लिए भी जाते हैं। अभी सरिस्का में डीजल-पेट्रोल की जिप्सी व केंटर है। इनके संचालन से भी जंगल में प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। साल में एक बार ऐतिहासिक पाण्डुपोल हनुमान मंदिर पर भरता है। इसमें देश भर से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। सरिस्का क्षेत्रों तक हजारों की संख्या में वाहन पहुंचते हैं।
करोड़ों का राजस्व, इवी बस सेवा नहीं
वर्ष राजस्व वाहनों को प्रवेश
2017- 18 1.39करोड 54286
2018-19 1.42करोड़ 57343
2019-20 1.54करोड़ 57996
2020-21 54 लाख 18200
2021-22 2.18करोड़ 38959
2022-23 2.25करोड़ 36971
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संभागीय आयुक्त समेत अनेक अधिकारी बता चुके जरूरत
सरिस्का को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की जरूरत संभागीय आयुक्त, सरिस्का प्रशासन से लेकर वन विभाग के अनेक अधिकारी जता चुके हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के प्लान में भी यह प्रस्ताव शामिल है। फिर भी केन्द्र व राज्य सरकार स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।