कार में दो युवक उतरे जिसमें से एक काले रंग की टी-शर्ट तो दूसरे ने सफेद शर्ट और काली टोपी लगाई हुई थी। ये दोनों युवक तेज कदम बढ़ाते हुए पत्रिका टीम के पास आए और हाथ जोड़कर खड़े हो गए। काली टी-शर्ट वाले ने खुद को सरगना बताया और बोला…साहब पुलिस से तो हमारी सेटिंग है, आप क्यों परेशान कर रहे हो। थोड़ा ध्यान रखो। बच्चे पालने दो। 37 मुकदमे दर्ज हैं। राजपासा भी लग गया। अब और क्या काम करें। मैंने काम बंद कर दिया। अब मेरे लड़के काम कर रहे हैं।
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तस्कर की जुबानी
खारबास कच्ची बस्ती इलाके में ही कुछ दूरी पर एक युवक मिला। जिसने खुद को तस्करों का गुर्गा बताया। नाम न छापने की शर्त पर उसने बताया कि वे लोग पुलिस को 30 हजार रुपए मंथली देते हैं। पत्रिका की खबर छपने के बाद उनके पास एक पुलिसवाले का फोन आया और वह बोला कि अखबार में खबर छपने के बाद अफसरों का प्रेशर है। एक मुकदमा देना पड़ेगा। जिसकी फोटो छपी है उसे पेश कर दो।
पत्रिका की खबर के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया
शहर में जगह-जगह हो रहे चरस-गांजा के अवैध कारोबार को लेकर पत्रिका के स्टिंग ऑपरेशन के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया है। जिला पुलिस अधीक्षक संजीव नैन ने इसे गंभीरता से लेते हुए सीओ सिटी अंगद शर्मा के नेतृत्व में दो टीमें तस्करों की धरपकड़ के लिए गठित की है। एक टीम में आठ पुलिसकर्मी शामिल हैं तथा दूसरी आठ सदस्यीय डीएसटी (डिस्ट्रिक स्पेशल टीम) को लगाया गया है। पुलिस अफसरों का कहना है कि तस्करों की धरपकड़ के लिए शुक्रवार को आधा दर्जन से ज्यादा संभावित ठिकानों पर दबिशें दी गई, लेकिन खबर छपने के बाद तस्कर फरार हो गए हैं। इस कारण किसी की गिरतारी नहीं हो सकी। विशेष प्लानिंग के साथ जल्द ही उनकी धरपकड़ की जाएगी।
सख्त कार्रवाई होगी
अलवर में चरस-गांजा का अवैध कारोबार कर रहे तस्करों के खिलाफ सती से कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सीओ सिटी के नेतृत्व में पुलिस की दो टीमों का गठन किया गया है। – संजीव नैन, जिला पुलिस अधीक्षक, अलवर