ज्ञापन में बताया कि रियासत काल मे अलवर रियासत के यह भू-भाग राजगढ़ जिले के नाम से जाना जाता था। अलवर रियासत में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यहां तक कि अलवर रियासत की स्थापना के प्रारंभिक चरण में राजगढ़ अलवर रियासत की राजधानी रही है।
आजादी के बाद राजगढ़ उपखंड अलवर जिले का सबसे प्राचीन एवं सबसे बड़ा उपखंड हुआ करता था व उपखंड थानागाजी, लक्ष्मणगढ़, कठूमर, रैणी भी राजगढ़ उपखंड के अंतर्गत आते थे। जिसके चलते राजगढ़ उपखंड का प्रशासनिक ढांचा अपना अलग ही महत्व रखता था। यहां जीरा, रेजा और अनाज की मंडिया व्यापक स्तर पर संचालित थी।
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उस समय राजगढ़ में माध्यमिक विधालय था, जिसमें दौसा से लेकर हरियाणा, उत्तरप्रदेश तक के विधार्थी अध्ययनरत थे। ज्ञापन में यह भी बताया कि राजगढ़ में एसटीसी कॉलेज था, जिसे बाद में अलवर जिला मुख्यालय पर स्थानन्तरित कर दिया गया। जिसका भवन आज भी महाविधालय छात्रावास के रूप में मौजूद है। क्षेत्र के सभी प्रमुख प्रशासनिक पद जो रियासत काल मे हमे मिले हुए थे।