इस बार बारिश अच्छी होने से किसानों के चेहरे पर फसल उत्पादन को लेकर खुशियां थी, लेकिन सरसों में पहला पानी देते ही वह झुलस कर खत्म होने लगी है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस गंभीर समस्या से अब तक कृषि विभाग अनजान है। किसानों को समय पर जानकारी देते तो काफी हद तक सरसों की फसल को बचाई जा सकती है। कृषि विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए और किसानों को इस समस्या से निजात दिलानी चाहिए।
यह है कारण अत्यधिक तापमान के कारण इस समय सरसों की फसल में पहली सिंचाई जल्द करने पर कालर रॉट नामक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, जिससे फसल झुलसने की संभावना बनी रहती है।
यह है उपाय भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, सेवर, भरतपुर की ओर से बताए गए उपाय के तहत सरसों की फसल में पहली सिंचाई करते समय भूमि में नमी की स्थिति को ध्यान में रखें और केवल आवश्यकता अनुसार ही सिंचाई की जानी चाहिए।
यह दे रहे सलाह – किसानों को यह सलाह दी जाती है कि भूमि की नमी को 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर जांचने के बाद ही सिंचाई करें। – अत्यधिक सिंचाई से बचें, क्योंकि इससे फसल में कालर रॉट बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।
– जिन किसानों ने पहले ही सरसों की फसल में सिंचाई कर ली है और उनकी फसल में झुलसने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो वे तुरंत कार्रवाई करें। – स्ट्रेप्टोमाइसिन 200 पीपीएम (200 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी) का एवं कार्बेन्डाजिम का 2 प्रतिशत घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें। ध्यान रखें कि छिड़काव संक्रमित भाग पर अवश्य पहुंचे।
– किसान अपनी फसल को बचाने व किसी भी जानकारी या सहायता के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या स्थानीय कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते है। विशेष सावधानी रखनी चाहिए कृषि अधिकारी, रैणी सवाईसिंह यादव का कहना है कि अत्यधिक तापमान में सरसों की फसल के लिए पहली सिंचाई पर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। किसान अनावश्यक सिंचाई से बचे एवं फसल में झुलसने की जोखिम को कम करें। किसानों को सलाह दी जाती रही है कि यह ब्लाइट/झुलसा रोग है। समय पर उपचारित हो तो फसल बच सकती है।