सहकारिता विभाग की ओर से किसानों के हित के लिए इस किसान समिति का पंजीयन किया गया, लेकिन बजट के अभाव में यहां पर अभी किसी भी कंपनी का उर्वरक इस वर्ष नहीं आया। इसे लेकर लाल प्याज की बुवाई सहित उससे पहले बाजरे में भी उर्वरक छिड़काव के लिए मालाखेड़ा, श्याम गंगा, और जमालपुर सहित अन्य स्थानों पर किसानों ने चक्कर काटे थे और उर्वरक की व्यवस्था की गई। किसान ताराचंद, फूलचंद, मनीराम ,शोभाराम, नाहर सिंह आदि ने बताया कि खरीफ फसल के दौरान भी उर्वरक की व्यवस्था नहीं हुई। अब रबी की फसल के लिए डीएपी, एनपीके, यूरिया खाद बहुत जरूरी है।
अभी समिति के खाते में इकजाई रकम नहीं इधर को-ऑपरेटिव सोसायटी व्यवस्थापक ऋषि सिंह ने बताया सहकारिता विभाग की ओर से इसका गठन किया गया, लेकिन उर्वरक खरीद के लिए पहले पैसे जमा करने पड़ते हैं। जो फिलहाल अभी समिति के खाते में इकजाई रकम नहीं है। सरपंच प्रतिनिधि ताराचंद ने बताया गत वर्ष भी उन्होंने खुद पैसे देकर उर्वरक की व्यवस्था की थी। अब किसान हित के लिए सरकार को सोचना चाहिए।
सरकार व विभाग को पत्र लिखा जाएगा ग्राम सेवा सहकारी समिति बरखेड़ा अध्यक्ष तीजो पीआर मीणा ने बताया कि समिति का गठन होने के बाद उसका स्वयं का अभी बजट नहीं है। 500 से अधिक सदस्य हैं। जिनकी शेयर राशि करीब 6 लाख रुपए है, जो सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक अलवर में जमा है। उसी के आधार पर भूमि धारक सदस्य किसानों को 85 लाख रुपए का ऋण वितरण किया जा चुका है। इस बाबत किसानों की एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें भूमि धारक सदस्य किसानों ने मांग रखी है कि रबी की फसल के लिए उर्वरक जरूरी है। इसकी व्यवस्था होना भी जरूरी है। उर्वरक की व्यवस्था के लिए सरकार व विभाग को पत्र लिखा जाएगा।
राशि जमा कराने पर उर्वरक की व्यवस्था हो सकेगी मामले में सहकारिता विभाग के डिप्टी रजिस्ट्रार गुलाबचंद मीणा का कहना है कि किसानों के हित के लिए समिति का गठन हुआ है। सहकारिता नियम के अनुसार उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कंपनी को एडवांस में राशि जमा करनी होती है। उसकी व्यवस्था सदस्यों के सहयोग से होने पर वह कंपनी को राशि जमा कराने पर उर्वरक की व्यवस्था हो सकेगी।