लेकिन इस जिले को खत्म नहीं करने को इसे भविष्य की राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, तिजारा विधायक बाबा बालकनाथ ने खैरथल-तिजारा की बजाय भिवाड़ी को जिला बनाने की मांग की थी।
बाबा बालकनाथ ने कहा कि खैरथल-तिजारा जिले को खत्म नहीं करना सरकार का निर्णय है, लेकिन जिले के लिए सबसे उपयुक्त भिवाड़ी ही है। यहां एसपी पहले से बैठ रहे हैं। कई प्रशासनिक अधिकारी भी यहां हैं। ऐसे में सरकार को ज्यादा पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता।
जिले को इसलिए भी नहीं किया खत्म
खैरथल-तिजारा जिले में अभी दो विधानसभा सीट आती है। इसमें तिजारा पर भाजपा के बालकनाथ और किशनगढ़बास में दीपचंद खैरिया विधायक हैं। लोकसभा चुनाव में तिजारा सीट पर भूपेंद्र यादव आगे रहे थे। बहरोड़ सीट पर भी भूपेंद्र ने बढ़त बनाई थी। एक वजह यह भी है कि जिलों को खत्म नहीं किया गया। भूपेंद्र यादव भी इस जिले को खत्म करने के पक्ष में नहीं थे।
अभी खैरथल-तिजारा जिले में दो एसपी
खैरथल-तिजारा जिले में अभी दो एसपी बैठ रहे हैं। जिले के हिसाब से जिला मुख्यालय खैरथल पर एसपी बैठ रहा है। वहीं, भिवाड़ी में 15 अगस्त, 2019 से ही एसपी बैठता आया है। इस जिले में कुल 12 थाने हैं। इसमें भिवाड़ी एसपी के पांच और खैरथल एसपी के पास 7 थाने हैं। जबकि एक जिले में इतने थाने तो सर्किल ऑफिसर के अंडर में ही आते हैं।
अलवर के भरोसे हैं दोनों नए जिले
अभी अलवर के भरोसे ही कोटपूतली-बहरोड़ और खैरथल-तिजारा जिले चल रहे हैं। अभी यहां जिले के हिसाब से कार्यालय भी नहीं बन पाए हैं। पुलिस की नफरी भी अभी तक तय नहीं हो पाई है।
पुलिस लाइन नहीं बनी है। फायरिंग रेंज भी नहीं बन पाई है। यहां तक मरीज भी अलवर के सामान्य चिकित्सालय में आ रहे हैं। पुलिस की चालानी गार्ड और एस्कॉर्ट तक अलवर से जाती है।