अलवर

Mini secretariat : 140 करोड़ का मिनी सचिवालय तैयार होने से पहले ही हो रहा जर्जर, आप भी जानिए हालत

अलवर में 140 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे मीनी सचिवालय का काम बंद होने के कारण अब इसकी हालत जर्जर हो रही है।

अलवरMay 10, 2018 / 04:08 pm

Prem Pathak

अलवर. 850 करोड़ के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के बाद जिले का सबसे बड़ा महत्वकांक्षी 140 करोड़ रुपए का आधा अधूरा खड़ा मिनी सचिवालय ढहना शुरू हो गया है। दो मई को आए तूफान में सचिवालय के भवन के अन्दर से करीब 10 जगह से दीवारें ढह चुकी हंै। अब उसका निर्माण बीच में भी अधूरा छोडऩे से दीवारें, लोहा, ईंट कमजोर पड़ती जा रही हंै, जिससे मिनी सचिवालय की उम्र भी कम हो रही है।
खुद इंजीनियर भी मान रहे हैं कि किसी भी चीज को अधूरा छोडकऱ पटक दिया जाएगा तो निश्चित रूप से उसकी उम्र समय पर बने निर्माण से कम हो जाती है।
लागत घटाकर 85 करोड़ किया

पिछली सरकार के समय यह प्रोजेक्ट 140 करोड़ का था, जिसे बाद में घटाकर 85 करोड़ रुपए कर दिया। मिनी सचिवालय की दो मंजिल का आकार कम करने के बावजूद भी निर्माण चार साल से बंद जैसा ही है। बीच-बीच में थोड़ा बहुत निर्माण हुआ है। जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ तब तेज गति से कार्य शुरू हुआ था, लेकिन बाद में एक दम बन्द होने से अभी तक ढांचा भी पूरा नहीं हो सका है।
अब दो फेज में कार्य होगा

मिनी सचिवालय में दो बड़े भवन है। एक कलक्ट्रेट परिसर, दूसरा न्यायिक। कलक्ट्रेट परिसर का कार्य जल्दी वापस शुरू कराया जाएगा। जिसका नए सिरे से रूडिफको ने करीब 27 करोड़ रुपए का ठेका किया है। जबकि न्यायिक परिसर का काम बन्द है। इसे चालू कराने के लिए अभी सरकार के स्तर पर आखिरी निर्णय होना है। हालांकि इसके लिए कुछ न्यायिक फण्ड से बजट लेने पर विचार विमर्श हुआ है।
यूआईटी भी कर्जदार हो गई

मिनी सचिवालय के कारण यूआईटी मोटे कर्ज में भी डूब गई। अकेले भिवाड़ी यूआईटी से करीब 20 करोड़ रुपए कर्ज ले रखा है। इसके अलावा भी मोटा पैसा ब्याज पर लिया हुआ है, जिसे किश्तों के रूप में चुकाने में यूआईटी को पसीने आ रहे हैं। आगे यूआईटी के पास विज्ञान नगर व शालीमार आवासीय योजनाओं के भूखण्डों से बड़ा राजस्व आने की उम्मीद है। इन येाजनाओं के भूखण्डों का अच्छा भाव मिला तो यूआईटी का खजाना वापस दिखने लगेगा।
अभी बन्द है कार्य, दीवारें गिरने की जानकारी नहीं

यह सही है कि इस समय मिनी सचिालय का निर्माण कार्य बन्द है। कलक्ट्रेट परिसर का निर्माण पूरा कराने के लिए सरकार के स्तर से निर्णय हो चुका है। जिसके नए सिरे से ठेका भी कर दिया है। जल्दी कार्य शुरू होगा। दीवारें गिरने की जानकारी नहीं है। ऐसा है तो तुरंत दिखवाते हैं।
पीके जैन, अधीक्षण अभियंता, यूआईटी अलवर।

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