पढ़ाई के लिए मेहनत-मजदूरी
अफसारी, फरजाना, सानिया व सोफिया का कहना है कि हम तीनों यूपीएससी की तैयारी के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं। हमारे समाज की कुछ बालिकाएं तो ऐसी हैं, जिनके पास पढ़ाई की फीस भरने का पैसा नहीं है। ऐसे में ये बालिकाएं खेतों में प्याज तोड़ने, सिलाई और मजदूरी करके फीस का इंतजाम कर रही हैं।छात्रावास में रहकर ले रही शिक्षा
अल्पसंख्यक अधिकारी सीमा कुमारी ने बताया कि अलवर में अल्पसंख्यक विभाग की ओर से संचालित बालिका छात्रावासों में मेवात की करीब 300 बालिकाएं पढ़ाई कर रही हैं। सूर्यनगर में संचालित बालिका छात्रावास मेें 138 बालिकाएं रहकर शिक्षा ले रही हैं। ये बालिकाएं 9वीं कक्षा से लेकर एमए स्तर की परीक्षा के अलावा यूपीएससी, आरपीएससी, बीएड, सहित अन्य कोर्स कर रही हैं। खैरथल बालिका छात्रावास में 29, लक्ष्मणगढ़ में 50, किशनगढ़ में 45 व तिजारा में मेवात की 37 बालिकाएं शिक्षा ले रही हैं।पढ़ाई को माना जाता था गलत
पहले मेवात में बेटियों को पढ़ाना गलत समझा जाता था। इनकी शिक्षा पर किसी का ध्यान नहीं था। जब बेटियों ने पढ़ने की ठानी तो आर्थिक तंगी ने कदम रोक दिए। ऐसे में इन बेटियों के सहयोग के लिए अलवर मेवात शिक्षा एवं विकास संस्था आगे आई। यह संस्था पिछले एक दशक से बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ रही है।यह भी पढ़ें:
VIDEO: तेंदुए ने मचाई लोगों में खलबली, 9 घंटे की दहशत के बाद किया ट्रेंकुलाइज