पुराने स्कूली वाहन नहीं दौड़ेंगे, वाहनों की स्पीड 40 किलोमीटर तय
शहर सहित ग्रामीण इलाकों में ऐसे स्कूली वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो 15 से ज्यादा साल पुराने हैं। इन में कई वाहन तो कंडम भी हो चुके हैं, लेकिन स्कूल संचालक की ओर से बच्चों को लाने-ले जाने के लिए उपयोग में लिए जा रहे हैं। वहीं, परिवहन विभाग ने स्कूली वाहनों की स्पीड 40 किलोमीटर तय कर रखी है, लेकिन अधिकांश स्कूलों का वाहन चालक स्पीड की पालना नहीं करते हैं।
चालकों के पास कोई आईडी कार्ड नहीं
बच्चों को बैठाकर तूफान की तरह दौडाते हुए सफर तय करते हैं। बताया जाता है कि जिले में एक-दो नामी स्कूलों को छोड़कर अधिकांश स्कूली वाहन चालकों के पास कोई आईडी कार्ड नहीं है। साथ ही बच्चों को स्कूल से लाने-ले जाने के लिए केवल चालक के भरोसे ही हैं। अधिकांश वाहनों में परिचालक की कमी है
भेजनी होगी रिपोर्ट
शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी बच्चों की सुरक्षा के लिए सचेत हो गए हैं। तीनों जिलों में चलने वाली सभी निजी स्कूलों की ओर से उपयोग किए जाने वाले वाहनों, ड्राइवर का नाम, बाल वाहिनी स्वयं की है या स्कूल से अनुबंध पर है या नहीं, संचालित बाल वाहिनी नियम के द्वारा सभी मापदंड पूर्ण कर रही है या नही और बाल वाहिनी चालक के नम्बर मांगे हैं। इसके लिए मुख्य जिला शिक्षा महेश चंद गुप्ता ने सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को पाबंद किया है और तीन दिन में रिपोर्ट सभी स्कूलों की रिपोर्ट मांगी है।