बारात में इस बार नहीं था शाही लवाजमा, महंत परिवार बना बाराती मुलत भगवान की यह रथयात्रा उनके विवाह से पूर्व बारात का स्वरूप हो ती है। इसमें बाराती भी इस बार महंत परिवार के सदस्य और मंदिर कमेटी के लोग ही रहे। इस यात्रा स्वरूप इस बार देखते ही बन रहा था जहां तरफ भक्ति व आस्था का रंग बरस रहा था वहीं दूसरी ओर मंदिर परिसर मोगरा, गुलाब और चंदन की खुशबू से महक रहा था। ऐसा लग रहा था साक्षात जगन्नाथ मंदिर में भक्तों को आर्शीवाद देने के लिए आए हो। जगन्नाथ जी के दूल्हा रूप में सज धजकर जब पुष्पक विमान में सवार हुए तो मंदिर परिसर जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ के जयकारों से गंूज उठा। इस दौरान मंदिर के मुख्यद्वार बंद कर दिए गए और भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया। ऐसे में श्रदलु मंदिर के मुख्यद्वार से ही भगवान के दर्शन करते रहे और जय जगदीश के जयकारे लगाते रहे।
आज दूल्हों बनो जगदीश, बंदडो प्यारो लागे रे भगवान की सवारी निकलने से पूर्व मंदिर में महंत परिवार की महिलाओं ने वैवाहिक मांगलिक गीत आज दूल्हो बनो जगदीश बडो प्यारो लागे रे, बंदडो प्यारो लागे रे । महिलाएं मांगलिक गीतों के साथ भगवान को पुष्पक विमान में बैठाने के लिए आई। परिवार की सभी महिलाएं पीले रंग की साडी पहनकर एक साथ मांगलिक गीत गा रही थी।
मंदिर के पुजारियों ने की आरती प्रतिवर्ष शहर से होकर रूपबास पहुंचने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान मार्ग में पडने वाले मंदिरों के पुजारी देर रात तक जागकर भगवान की रथयात्रा की पूजा करते हैं। लेकिन इस बार मंदिर में ही कार्यक्रम होने के कारण पुजारियों को दर्शन करने और आरती करने का मौका नहीं मिल पाया। इसके चलते त्रिपोलिया स्थित गणेश मंदिर के पुजारी योगेश चंद शर्मा व बैकुंठ धाम मंदिर के पुजारियों की ओर से मंदिर परिसर में ही सवारी के दौरान भगवान की आरती की ।
लडडू गोपाल जी भी पहुंचें दर्शन करने अलवर शहर निवासी दंपत्ति पीयूष जैन व उनकी पत्नी वर्षा जैन अपने लडडू गोपाल जी को साथ में लेकर भगवान जगन्नाथ के दर्शनों को पहुंचें। उन्होंने बताया कि लडडू गोपाल जी को उन्होंने पुत्र बनाया हुआ है । लडडू गोपाल जी को अर्थव जैन नाम रखा हुआ है। वह जहां भी जाते हैं उन्हे ंसाथ लेकर जाते हैं। इसलिए जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए भी उन्हे ंसाथ लाए हैं।
इस्कॉन मंडली की कमी को भक्तों ने किया पूरा मंदिर से प्रतिवर्ष निकलने वाली रथयात्रा के दौरान इस्कॉन मंडली सहित अनेक आकर्षण होते हैं। इस बार मंदिर में इस्कॉन मंडल की कमी को मंदिर के भक्तों ने पूरा किया और बारात के आगे ढोलक पर हरे रामा हरे कृष्णा गाते हुए चल रहे थे। यहां पर परिवार की महिलाएं और श्रद्धालु इस्कॉन मंडली की तर्ज पर भजनों पर नाचते गाते चल रहे थे।
बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन हुए प्रारंभ भगवान जगन्नाथ जी की सवारी निकलने के बाद उन्हें मंदिर परिसर में ही बनाए गए जनवासा में विराजमान किया गया है। यहां पर पहले से ही सीताराम जी सालिग्राम के रूप में विराजमान है। जगन्नाथ जी के जाने के बाद मंदिर में विराजमान भगवान जगन्नाथ की प्राचीन प्रतिमा के दर्शन श्रद्धालु कर रहे हैं। बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन साल में एक बार ही होते हैं।
सांसद, मंत्री व विधायक ने बांधा मन्नत का नारियल भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए मंदिर में सुबह से ही श्रदलु बारी बारी से आते रहे । इस दौरान अलवर शहर के सांसद बाबा बालकनाथ, श्रम राज्य मंत्री टीकाराम जूली व अलवर शहर के सांसद संजय शर्मा ने रविवार को मंदिर पहुंचकर भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन किए। इन्होंने भगवान जगन्नाथ से आर्शीवाद लिया और मन्नत का नारियल बांधा।
सीकर से अलवर दर्शन करने पहुंचें न्यायाधीश सीकर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर कार्यरत ज्ञान प्रकाश गुप्ता ने अलवर के मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए। उन्होंने बताया कि अलवर शहर में एडीजे
रहने के दौरान वह प्रतिवर्ष रथयात्रा के साथ पैदल चलते थे। इसलिए अब सीकर से दर्शन के लिए यहां आए हैं।
आरएएस बनने पर निहारिका का किया स्वागत महंत परिवार की बेटी निहारिका के आरएएस में चयन होने के बाद जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान मंदिर परिसर में मंदिर कमेटी व महंत परिवार की ओर से स्वागत किया गया।