पूजा बताती हैं कि बचपन से ड्रॉइंग का शौक था। बड़ी कलाकार बनना चाहती थी लेकिन जब बड़ी हुई तो मैंने पढ़ाई की तरफ ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे ड्रॉइंग मुझसे दूर हो गई। शादी के बाद, मैंने कभी ड्रॉइंग करने के बारे में नहीं सोचा।
ऐसे शुरू हुआ कलाकार बनने का सफर पूजा का कहना है कि कोरोनाकाल के दौरान नए जोश के साथ, मैंने अपने पेंसिल और ब्रश उठाए और कलाकार बनने का सफर शुरू किया। मैंने स्केचिंग, चारकोल वर्क, एक्रिलिक्स, ऑइल पेंटिंग व एब्स्ट्रेक्ट आर्ट की विभिन्न विधाओं में काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे मुझे ऑर्डर मिलने लगे। जन्मदिन और वर्षगांठ के लिए विशेष स्केच बनाने के ऑर्डर आने लगे। इसके बाद मुझे स्कूल्स में आमंत्रित किया जाने लगा। ऑनलाइन प्रतियोगिताओं में भाग लेकर, मैंने गोल्ड अवॉर्ड हासिल किया और कई पुरस्कार जीते। इन उपलब्धियों ने मुझे और प्रेरित किया और मेरे पति व बच्चों का भी साथ मिलने लगा। तब मैंने सोचा कि मुझे कुछ बड़ा करना है। इसलिए, मैंने कैनवास पेंटिंग भी शुरू की।
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