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विश्व बाघ दिवस: सरिस्का में बाघों की बढ़ती संख्या से जगी उम्मीदें, चुनौतियां भी कम नहीं, पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट

International Tiger Day: विश्व बाघ दिवस पर सरिस्का में बाघों की मौजूदा स्थिति, बढ़ती संख्या और चुनौतियों पर पढ़िए यह ख़ास रिपोर्ट

अलवरJul 29, 2020 / 01:41 pm

Lubhavan

International Tiger Day: Sariska Tiger Reserve Alwar Analytical Report

विश्व बाघ दिवस: सरिस्का में बाघों की बढ़ती संख्या से जगी उम्मीदें, चुनौतियां भी कम नहीं, पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट

अलवर. International Tiger Day: आज विश्व बाघ दिवस है। राजस्थान में रणथम्भोर के बाद अलवर का ( Sariska Tiger Reserve ) सरिस्का बाघ अभ्यारण्य, बाघों की बढ़ती संख्या से अब पुनर्जीवित हो गया है। वर्ष 2005 में शिकार व अन्य मानव गतिविधियों के चलते सरिस्का बाघ विहीन हो गया था। फिर वर्ष 2008 में यहां पुनर्वास किया गया, अब समय के साथ यहां बाघों का कुनबा भी बढ़ रहा है। वर्ष 2020 में अब तक सरिस्का में 20 बाघ हैं। इस साल यहां बाघों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है।
नहीं थमा बाघों का शिकार

सरिस्का में पुनर्वास के बाद भी बाघों का शिकार पूरी तरह से नहीं थमा। वर्ष 2018 में सरिस्का के सबसे मजबूत बाघ एसटी-11 की शिकारी के फंदे में फंसने से मौत हो गई थी। इसके बाद बाघिन एसटी-5 तो गायब ही हो गई, जिसे बाद में मृत माना गया। अगले साल रणथम्भोर से लाए गए बाघ एसटी-16 की भी गर्मी में हाई डोज देने के कारण मौत हो गई। इसके बाद तीन शावक भी लापता हो गए। अगर सरिस्का में यह नकारात्मक गतिविधियां नहीं होती, तो अभी सरिस्का में बाघों की संख्या 40 के पार होती।
यह हैं संभावनाएं

अगर सरिस्का में बाघों की संख्या लगातार बढ़ती है तो इससे काफी राजस्व मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है की सरिस्का में बाघों की अधिक साइटिंग होगी तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। जयपुर और दिल्ली के बीच होने के कारण सरिस्का वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों की पसंद है। ऐसे में यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और इस अभ्यारण्य का भी विकास होगा।
चुनौतियां भी कम नहीं

सरिस्का के बाघों को खतरा भी अधिक है। इसकी वजह सरिस्का जंगल के अंदर मानवीय गतिविधियों का बढ़ना है। करीब 1213 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सरिस्का बाघ परियोजना में करीब 26 गांव बसे हैं। वैसे तो इन सभी गांवों का विस्थापन सरिस्का प्रशासन की प्राथमिकता में हैं, लेकिन प्रारंभ में इनमें से 9 गांवों का विस्थापन जरूरी है। करीब एक दशक से ज्यादा समय से विस्थापन की प्रक्रिया चलने के बाद भी अब तक केवल तीन गांव ही पूरी तरह सरिस्का से विस्थापित हो पाए हैं। वर्ष 2008 से 11 के बीच हुए सर्वे में इन 9 गांवों के 973 परिवारों को विस्थापन के लिए चयनित किया गया था। इनमें से अब तक केवल 660 परिवार ही विस्थापित हो पाए हैं। शेष 313 परिवार अब तक सरिस्का में जमे हैं। सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र में बसे 9 गांवों में से अब तक केवल तीन गांव उमरी, भगानी व रोटक्याला का पूरी तरह विस्थापन हो पाया है। अभी डाबली, सुकोला, कांकवाड़ी, क्रास्का, हरिपुरा व देवरी का विस्थापन लक्ष्य अधूरा ही है।
रैंकिंग में भी गिरावट

एनटीसीए व डब्ल्यूआईआई ने वर्ष 2018 में देश भर के टाइगर रिजर्व में मैनेजमेंट इफेक्टिव इवलूशन सर्वे किया गया था। इसमें सरिस्का की रेटिंग अच्छे से लुढ़ककर सामान्य पर आ गई। सरिस्का में इस सर्वे में 41वां स्थान पाया था। वहीं एनटीसीए की ओर से गत वर्ष मध्य प्रदेश से आने वाले बाघों के विस्थापन पर भी रोक लगा दी थी। एनटीसीए का कहना था कि जब तक सरिस्का में मानवीय गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई जाती, तब तक सरिस्का में नए बाघ नहीं लाए जाएंगे।

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