जानकारों का कहना है कि जिला परिषद में अफसरों की मेहरबानी हो जाए तो अपात्र को भी पात्र मानकर नौकरी मिल जाती है। वहीं सेटिंग नहीं हुई तो पात्र अभ्यर्थी भी अपात्र साबित हो जाता है। कहते हैं कि जिला परिषद में दर्जनों ऐसे केस निकलेंगे, यदि एसओजी जांच हो तो। कई लोग एसओजी जांच कराने की मांग अब लगातार उठा रहे हैं। ऐसे में अधिकारियों से लेकर लिपिकों तक के होश उड़े हुए हैं।
अधिक आयु के कारण गई नौकरी
वर्ष 2022 में कनिष्ठ लिपिक भर्ती 2013 के अंतर्गत 52 वर्षीय रुकमणी नंदन शर्मा को लिपिक के पद पर नियुक्ति दी गई। कई स्तर पर दस्तावेजों का सत्यापन किया गया, लेकिन किसी ने आपत्ति नहीं की। जिला परिषद ने ही अभ्यर्थी को ओवरऐज बताकर वर्ष 2023 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया जबकि जिला परिषद ने नियुक्ति आदेश में साफ-साफ रुकमणी नंदन शर्मा की जन्म तिथि अंकित की थी। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि नियुक्ति आदेश बनाते समय क्यों इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया? इसके अलावा जिस चैनल के माध्यम से पत्रावली क्लियर हुई, उस चैनल के अधिकारी व कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
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कम कटऑफ पर दे दी गई नौकरी
नवंबर 2022 में जिला परिषद की ओर से प्रमिला देवी को कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्ति दी गई। नियुक्ति सामान्य विधवा महिला कोटे के तहत दी गई, जबकि महिला के अंक सामान्य विधवा महिला के कटऑफ अंकों से कम थे। इस प्रकरण में परिषद के अधिकारियों ने न्यायालय में भी रिपोर्ट देकर प्रमिला देवी को नौकरी नहीं दिए जाने की बात कही थी, लेकिन इसके एक महीने बाद ही नौकरी दे दी गई। इस प्रकरण के दोषियों पर भी अभी तक कार्रवाई नहीं हुई।
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मेरे संज्ञान में नहीं है
यह प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं हैं। अभी लिपिक हड़ताल पर चल रहे हैं। जैसे ही वह काम पर लौटेंगे तो इन सभी प्रकरणों को दिखवाया जाएगा।
रेखा रानी व्यास, कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद अलवर