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सब्जी की खेती कर किसान आर्थिक संपन्नता कर रहे हासिल, बाजार भाव भी अच्छा

सब्जियां मिनीबैंक हो रही साबित, नित्य हाथ खर्ची आने के साथ ही अच्छा मेहनताना भी मिल रहा है। क्षेत्र में इन दिनों सब्जी की फसल की बंपर हो रही है पैदावार।

अलवरOct 01, 2024 / 05:05 pm

Ramkaran Katariya

मालाखेड़ा. क्षेत्र में इन दिनों सब्जी की फसल की बंपर पैदावार हो रही है। अब सब्जी उत्पादक किसान आर्थिक संपन्नता हासिल कर रहे हैं। सब्जियां उनके लिए मिनीबैंक साबित हो रही है। नित्य हाथ खर्ची आने के साथ ही अच्छा मेहनताना भी मिल रहा है।
क्षेत्र में विशेषकर भिंडी की बंपर पैदावार हो रही है। इसके दाम 20 से 25 प्रति किलो थोक में हासिल हो रहे हैं, जबकि शुरुआती दौर में यही भिंडी के दाम 40 से 60 रुपए प्रति किलो के थोक में हासिल हो चुके हैं। इन दिनों खुदरा भाव में भिंडी के दाम 40 से 60 रुपए प्रति किलो है। भिंडी की सब्जी की गुणवत्ता जग जाहिर है। इसका उत्पादन अधिक होने के साथ ही अब उसके दाम भी अच्छे मिल रहे हैं।
आर्थिक उन्नति का प्रतीक साबित हुई

किसानों का कहना है कि महंगे भाव में भिंडी बेचकर उन्होंने मुनाफा कमाया है। अब मजदूरी सहित अन्य खर्च भी इस समय भिंडी बेचने से निकल रहे हैं। इस बार भिंडी की सब्जी आर्थिक उन्नति का प्रतीक साबित हुई है। बीजवाड़ नरूका के सब्जी उत्पादक किसान लक्ष्मीनारायण सैनी ने बताया कि लगातार बारिश होने के बाद फसल में सिंचाई नहीं करनी पड़ी। उत्पादन भी अच्छा हो रहा है। इस बार काफी लाभ भिंडी की खेती से हुआ है।
एक महीने में 35000 से 40000 की औसतन आमदनी

किसान का कहना है कि एक बीघा में भिंडी की खेती में एक दिन छोड़कर एक दिन एक क्विंटल भिंडी का उत्पादन बाजार में बेच रहे हैं। जहां एक महीने में 35000 से 40000 की औसतन भिंडी बेची गई। हालांकि अब कम दाम होने पर भी अच्छी बिक रही है। भिंडी का उत्पादन जून से शुरू किया गया जो 15 अक्टूबर तक जारी रहेगा। इस प्रकार 5 महीने में एक बीघा जमीन में 200000 से अधिक की भिंडी बेचकर आर्थिक रूप से संपन्नता अर्जित की है।
एक बीघा पर खर्च 75000 के करीब आया

किसानों ने बताया कि भिंडी की बुवाई, जुताई, निराई, गुड़ाई, पर खर्च एक बीघा पर करीब 75000 रुपए के आया है। इस बार बारिश की वजह से किसानों को सिंचाई आदि की बचत भी हुई है। इसके अलावा रोग भी नहीं लगा। समय-समय पर कीटनाशक का प्रयोग व बारिश की वजह से फसल ने अच्छी ग्रोथ की। इस प्रकार से एक बीघा में एक किसान को लगभग सवा लाख रुपए की बचत हुई है।

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