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अलवर

28 साल बाद भी क्षेत्र के सालवाड़ी को छोड़़ सभी बांध खाली, नहीं बुझी धरती की प्यास

1996 की बाढ़ में क्षेत्र के सभी आठ बांध हुए थे ओवरफ्लो। इस साल अच्छी बरसात के बाद भी दो तीन बांधों में ही आया पानी।

अलवरSep 16, 2024 / 10:20 pm

Ramkaran Katariya

कठूमर. उपखंड क्षेत्र में 1996 में बाढ आने के बाद ओवरफ्लो क्षेत्र के सभी बांध ओवरफ्लो हो गए थे, लेकिन इसके 28 साल का लम्बा समय निकलने के बाद एकाध बांध को छोड़कर कोई भी ओवरफ्लो नहीं हुआ है।
सूत्रों के अनुसार पांच सालों में इस बार अच्छी बारिश हुई है। बावजूद सभी बांध रीते पड़े हैं। इन बांधों में केवल सालवाडी बांध ही ओवरफ्लो हुआ और गालाखेडा व टिटपुरी बांध में चार फीट तक पानी आया, लेकिन धरती प्यासी होने के कारण अन्य बांधों के पानी को निगल गई। केवल सालवाडी बांध में ही तीन-चार फीट पानी बचा हुआ है।
क्षेत्र में आठ बांध

कठूमर क्षेत्र में पंचायत समिति के अधीन आठ बांध तसई, टिटपुरी, अडोली, जटवाड़ा, पीतमपुरा, समोची, सालवाडी, गालाखेडा बांध है। कैचमेंट एरिया के हिसाब से सबसे बड़ा बांध पीतमपुरा को माना जाता है, जबकि अडोली बांध की सबसे ज्यादा 10 फीट गहराई है। क्षेत्र में जल विशेषज्ञों का मानना है कि क्षेत्र में इस बार बारिश तो अच्छी हुई है, लेकिन बांधों के नहीं भरने के सबसे प्रमुख कारण पीछे से पर्याप्त पानी नहीं आना है। इन सभी बांधों का एक-दूसरे बांध से अटैचमेंट है। जब पीछे के बांध ओवरफ्लो होते हैं, तभी इनमें पानी आता है। दूसरा बड़ा कारण पानी आने के रास्तों में अवरोध, कैचमेंट एरिया में पक्के निर्माण भी माना जा रहा है। इसके अलावा छितराई बारिश की वजह से भी बांध खाली रह गए। इन बांधों में एक साथ आठ से 10 इंच बारिश होने के बाद ही पानी आने की संभावना बनती है।
ढाई दशक पहले हुई थी तेज बारिश

क्षेत्र में 1996 में शानदार बारिश हुई थी और पूरे एरिया में एक दिन में दो सौ से ढाई सौ एमएम पानी बरसने से चारों तरफ पानी ही पानी हो गया था। अनेक जगह बाढ़ का सामना करना पड़ा। सभी बांध ओवरफ्लो हो गए थे। लागातार पानी आने से कई जगह तो महीनों तक पानी चलता रहा। इस बारिश से जल स्रोतों का स्तर काफी ऊपर हो गया और एक दशक तक पानी की स्थिति अच्छी रही। जटवाडा बांध पहाड़ी एरिया में स्थित है और पहाड़ों के नीचे जल स्वालंबन योजना में अनेक एनिकट बनने से भी बांध में पानी कम आता है।
यह बोले लोग

जटवाड़ा सरपंच नीतेश लोकेश चौधरी का कहना है कि अडोली से गोठरी माणकपुर ग्रेवल सडक बन जाने से गोठडी नला बंद हो गया। इस कारण से बांध में पानी नहीं आता है। छह सात साल पहले बांध ओवरफ्लो हुआ था। वहीं सालवाडी सरपंच नत्थीलाल मीणा का कहना है कि सालवाडी बांध के 1996 में ओवरफ्लो के बाद 2024 में अच्छा पानी आया, जो कि फसलों व जलस्तर बढ़ाने के लिए काफी फायदेमंद है। बांध में पानी हल्दैना, रोनीजाथान व दौसा के कोट बांध से आता है। इधर सहायक अभियंता पंचायत समिति, कठूमर शिवराम मीणा का कहना है कि टिटपुरी आदि बांधों में घाट कैनाल के ओवरफ्लो होने पर पानी आता है। कई जगह रास्तों में रुकावट होने से पानी नहीं पहुंच पाता है। इस वर्ष अच्छी बारिश होने से कई बांधों में पानी आया, लेकिन धरती के पानी सोखने से बांधों में पानी नहीं रहा, सिर्फ सालवाडी बांध में तीन-चार फीट पानी है।

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