अलवर की कॉपर प्रोजेक्ट से बन सकती है नई पहचान
सरिस्का का इको सेंसेटिव जोन के प्रारूप को अंतिम रूप देने तथा सरकार की ओर से यहां कॉपर, सोना व चांदी के दोहन की अनुमति दिए जाने पर अलवर की कॉपर प्रोजेक्ट के नाम से देश व प्रदेश में नई पहचान बन सकती है। यहां कॉपर का बड़ा प्रोजेक्ट लगाया जा सकता है, जिसमें कई हजार क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही सरकार को हर वर्ष कई हजार करोड़ का राजस्व मिल सकता है।
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इको सेंसेटिव जोन एक किमी या 10 किमी अभी तय नहीं
इको सेंसेटिव जोन सरिस्का की सीमा से एक किमी या 10 किलोमीटर के दायरे में होगा, यह तय नहीं हो पाया है। थानागाजी क्षेत्र में मूडियाबास का खेड़ा ब्लॉक भी इस दायरे में आता है। इस कारण सरकार की ओर से अभी तक यहां खनिज के दोहन का निर्णय नहीं किया जा सका है। मूडियाबास के खेड़ा ब्लॉक में जीएसआई ने करीब 584 एकड़ में कॉपर, सोना व चांदी आदि के बड़े भंडार होने का पता लगाया था।
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