हाल में सरकार ने अपने स्तर से 10 करोड़ रुपए का इंतजाम कराया है जबकि इससे पहले सरकार ने पूरा निर्माण कार्य यूआईटी पर थोप दिया था। उस समय यूआईटी के पास भी इतना बजट नहीं था कि बराबर निर्माण जारी रखा जा सके। पहले ही यूआईटी ने मिनी सचिवालय के नाम से करीब 25 करोड़ रुपए का उधार लिया हुआ है।
सरकार ने मिनी सचिवालय के निर्माण के लिए अलवर शहर में कुछ प्रॉपर्टी जरूर यूआईटी को आवंटित की है। उनमें से अभी तक केवल न्यूतेज टॉकीज की जमीन का बेचान हुआ है। इसके अलावा सिंचाई भवन की जमीन का हिस्सा भी कुछ दिनों पहले ही बेचान किया गया है। अब पुराना जनाना अस्पताल की जगह पर दुकानें बचेने की पूरी तैयारी हो गई है। यह सब कार्य अब तेज गति से होने लगे हैं। जब सिर पर विधानसभा चुनाव आ गए हैं। जबकि इससे पहले किसी को मिनी सचिवालय का निर्माण कराने की परवाह नहीं रही। उल्लेखनीय है कि 140 करोड़ के शुरूआती प्रोजेक्ट को बाद में घटाकर 85 करोड़ रुपया कर दिया। इसके बावजूद भी निर्माण कई साल तक अधूरा पड़ा रहा। जिससे निर्माण के कार्य की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।