इस तरह बढ़ेंगे बाघ
सरिस्का वर्ष 2005 में बाघविहीन हो गया था। सरकार ने बाघ संरक्षण के लिए कदम बढ़ाया। वर्ष 2012 में एक बाघ व एक बाघिन का सरिस्का में प्रवेश हुआ। इनका पूरा संरक्षण किया गया। वर्ष 2014 में दो शावक देखे गए। इस तरह संख्या बाघों की 4 हो गई। खुशखबरी आई तो सरिस्का ने बाघ संरक्षण प्लान-2024 तैयार करवाया। यह प्लान काफी काम आया।यह है जीटीएफ
ग्लोबल टाइगर फोरम यानी जीटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय अंतर सरकारी निकाय है, जो विशेष रूप से रेंज देशों में जंगली बाघों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है। 13 बाघ रेंज वाले देशों में से सात वर्तमान में जीटीएफ के सदस्य हैं। बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, भारत, म्यांमार, नेपाल और वियतनाम शामिल हैं। जीटीएफ का लक्ष्य बाघ संरक्षण के औचित्य को उजागर करना है। बाघ, उसके शिकार और उसके निवास स्थान के अस्तित्व की सुरक्षा के लिए दुनियाभर में नेतृत्व और एक सामान्य दृष्टिकोण प्रदान करना है।इनका कहना है
बाघ संरक्षण प्लान 2034 तैयार किया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी ग्लोबल टाइगर फोरम को दी गई है। हमारा लक्ष्य है कि अगले 10 साल में बाघों की संख्या में वृद्धि हो– संग्राम सिंह कटियार, क्षेत्र निदेशक, सरिस्का टाइगर रिजर्वइन बिंदुओं पर करना होगा काम
बाघ संरक्षण के लिए कड़ी निगरानी, शिकारियों को दूर रखना।मानव जनित आपदाओं से बाघों को बचाना।
इलेक्ट्रिक वाहन चलाना।
सीटीएच से एक किमी की दूरी तक, बफर, राजस्व बफर एरिया में कॉमर्शियल गतिविधियों का संचालन बंद करना।
प्रोटक्शन फोर्स की तैनाती।
सरिस्का में खाली 200 से ज्यादा पदों को भरना।
एलिवेटेड रोड बनाना।
पानी की पर्याप्त व्यवस्था।
सरिस्का के जंगल का विस्तार करना।