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प्रो संजीव भदौरिया रक्षा अध्ययन के जाने-माने शिक्षक थे। प्रोफेसर भदौरिया के छात्र रहे दिल्ली पुलिस में तैनात आशुतोष सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के छात्र ही नहीं बल्कि सेना के जवान और अधिकारी भी उनसे रक्षा अध्ययन की बारीकियां पढ़ने आते थे। रक्षा अध्ययन को वो एक रणनीत की तरह पढ़ाते थे। जिसमें उन्हें महारत हासिल थी। प्रोफेसर संजीव भदौरिया को आर्मी के बड़े सेंटरों पर बुलाया जाता था। जहां पर वह देश के जवानों को परीक्षा अध्ययन की जानकारी देते थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर राजन हर्षे ने कहा कि प्रोफेसर संजीव की मृत्यु की सूचना बेहद दुखदाई है। छात्रों ने एक बेहतर शिक्षक और देश में रक्षा अध्ययन का एक महान विद्वान खो दिया है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारी अजय सिंह ने बताया कि प्रोफेसर भदौरिया कोई बच्चे नहीं थे।वह अपनी पत्नी के साथ चंद्रलोक सिनेमा के पास अपने आवास पर रहते थे । बताया कि प्रोफेसर भदौरिया काफी दिनों से प्रोस्टेट की बीमारी से ग्रसित थे। वह कुछ दिनों पहले इलाज कराने के लिए बाहर भी गए थे और हाल ही में वापस लौटे हैं। प्रोफेसर भदौरिया इटावा के रहने वाले थे । लंबे समय से अपने परिवार के साथ चंद्रलोक के पास अपने निजी आवास पर रहते थे।सुरक्षा अधिकारी अजय सिंह के मुताबिक प्रोफेसर भदौरिया ने सुसाइड नोट भी छोड़ा है। जिसमें उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार किसी को नहीं ठहराया है। इसके आलावा अन्य क्या बातें सुसाइड नोट में है वह अजय सिंह नहीं बता सके । उन्होंने कहा कि पुलिस सुसाइड नोट ले गई और अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि और उन्होंने क्या लिखा है। किस वजह से उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया इसको लेकर सभी हैरान है ।
अजय सिंह के मुताबिक प्रोफेसर भदोरिया अभी लंबे समय तक शिक्षक की भूमिका में रहते । विश्वविद्यालय को उनके जैसे विद्वान की आवश्यकता थी । उन्होंने बताया वर्षीय 50 वर्ष प्रो भदौरिया रक्षा अध्ययन विभाग के तेजतर्रार और विद्वान प्रोफेसरों में से थे । जिनकी दुनियां ख्याति दुनिया में थी उनके इस कदम से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों क लिए अपूरणीय क्षति हुई है जो पूरी नहीं की जा सकती है ।