गोपालदास नीरज एक ऐसी कवि थे, जिनकी रचना जिनका गीत और कविता सुनने के लिए लोग घंटों उनका इंतजार करते थे। कहा जाता है कि नीरज एक ऐसे रचनाकार रहे। जिन्होंने आधुनिक कवियों को हरिवंश राय बच्चन के बाद सबसे ज्यादा मंच दिया और बच्चन के बाद जिसकी कविता मंचों से लेकर लोगों की जुबान पर गुनगुनाई गई। मंचों पर उनके गुनगुनाने का अंदाज उनके गीत की शैली फिल्मों में लिखे गए उनके गीत लोग कभी भुला नही पाएंगें। कविता के मंच से लेकर फिल्मों की स्क्रीन तक उनके लिखे गए गीतों में कभी शब्दों से समझौता नहीं हुआ ।
गोपालदास नीरज के साथ सैकड़ों मंच साझा करने वाले गीतकार कवि यश मालवीय कहते हैं कि आज उनके लिए एक अपूरणीय क्षति है, उनके जाने से बहुत आघात हुआ है। यश मालवीय उन्हें याद करते हुए कहते हैं कि 1986 में गोपालदास नीरज को एक कवि सम्मेलन के लिए इलाहाबाद आना था। उस जमाने में फोन की सुविधा नहीं थी।तो उन्होंने आने से एक सप्ताह पहले पोस्ट कार्ड भेजा। जिसमें उन्होंने लिखा कि प्रयाग आने पर मेरे तीन महत्वपूर्ण काम है, जिनमें पहला काम महादेवी वर्मा के घर जाकर उनका आशीर्वाद लेना, संगम में दर्शन करना और आनंद भवन घूमना।
गोपालदास नीरज के गीतों उनकी कविताओं के बड़े फैन रहे उनके बेहद करीबी डॉ. धनंजय चोपड़ा कहते हैं कि आज एक बहुत बड़ा जनकवि कवि हमारे बीच से चला गया। अब उनके मंच पर आने का इंतजार खत्म हो गया। उनके गाए हुए गीत उनकी लिखी हुई कविताओं को गुनगुना कर उन्हें याद किया जा सकता है । धनंजय चोपड़ा कहते हैं उनके साथ मंच साझा करना जितना सुखद था, उससे कहीं ज्यादा उन्हें बैठकर सुनना आनंद देता था । जन कवि नीरज को लोग उनके शब्द के लिए याद रखेंगे । हिंदी के प्रति उनकी ईमानदारी अपने सामने की पीढ़ियों को यह बताना कि हिंदी के साथ न्याय कैसे होता है । शब्दों के साथ प्रेम कैसे होता है ,प्रेम के साथ गीत कैसे रचे जाते हैं यह उन्होंने कई पीढ़ियों को सिखाया ।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देश के जाने.माने आलोचक डॉ. राजेंद्र कुमार गीतकार नीरज के जाने की बात सुनकर भावुक हो जाते हैं। उन्होंने फोन पर बताया कि नीरज का जाना एक युग का चला जाना है । मंचों से आज हिंदी कविता की धुन चली गई । संगीत का सरल गीत चला गया, जिसे लोग सुनने के लिए बेताब होते थे । गोपालदास नीरज वह शख्सियत रहे, जिन्होंने मंच पर कविताओं को झूमकर गाना और झूमकर सुनना सिखाया। आज उनके जाने पर फिर एक बार बच्चन बहुत याद आए।