कोर्ट ने कहा अधिशासी अभियंता ने गलत आदेश दिया और याचिका लंबित रहते बिना कोर्ट की अनुमति अपना आदेश वापस ले लिया। हलफनामे में नहीं बताया कि कानून के किस उपबंध में अपना आदेश वापस लेने का अधिकार दिया गया है। कोर्ट ने कहा अभियंता के आदेश से ही कदाचार स्पष्ट हो रहा है। कोर्ट ने अधिशासी अभियंता का 21मार्च 22के आदेश को रद्द कर दिया है और याची की आपत्तियों पर सुनवाई का मौका देते हुए आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति सी के राय की खंडपीठ ने नवी हसन की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। विजली विभाग ने याची के खिलाफ 544525रूपये की बकाया वसूली आदेश जारी किया। हाईकोर्ट ने याची की आपत्तियों पर सुनवाई का मौका देकर नये सिरे से आदेश देने का निर्देश दिया।और याची को 25हजार जमा करने को कहा।
अभियंता ने कुल राशि से 25हजार जमा राशि घटाकर शेष 519525रूपये बकाया जमा करने का प्रिंटेड प्रोफार्मा में आदेश दिया।
याची ने चुनौती दी कहा कोर्ट आदेश का सम्मान नहीं किया गया और विवेक का इस्तेमाल न कर मनमाना आदेश दिया गया है।जिसपर कोर्ट ने व्यक्तिगत हलफनामा मांगा।विजली विभाग के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने कहा कि आदेश वापस ले लिया गया है। इसपर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि किस उपबंध में अपने आदेश पर पुनर्विचार कर सकते हैं या वापस ले सकते हैं। कोर्ट ने भारी हर्जाना लगाया है।