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प्रयागराज

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह से पहले कैम्पस का माहौल गर्म, भारी हंगामे के बीच छात्र नेता गिरफ्तार

पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने मुख्यातिथि कैलाश सत्यार्थी को चिठ्ठी लिख कर फैलाई सनसनी

प्रयागराजSep 04, 2019 / 07:51 pm

प्रसून पांडे

allahabad university student leader arrested before convocation

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह से पहले कैम्पस का माहौल गर्म, भारी हंगामे के बीच छात्र नेता गिरफ्तार

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह से पहले गहमागहमी शुरू हो गई है। छात्रसंघ बहाली की मांग को लेकर 31वें दिन से धरने पर बैठे छात्र नेताओं को भारी हंगामे के बीच पुलिस प्रशासन ने गिरफ्तार कर लिया है।विश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाली सहित अन्य मुद्दों को लेकर विश्वविद्यालय के निवर्तमान उपाध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में 31 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है। जिसमें सभी छात्र संगठन एकजुट होकर छात्र संघर्ष मोर्चा के बैनर तले धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। दीक्षांत समारोह में हंगामे की आशंका को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आंदोलित छात्रों को छात्रसंघ भवन के बाहर चल रहे प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए पुलिस के जरिए दबाव बनाया।जिसके बाद छात्रों को गिरफ्तार कराया।

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दरअसल छात्र नेताओं ने ऐलान किया है कि दीक्षांत समारोह में आ रहे मुख्य अतिथि नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के सामने अपनी मांग रखेंगे । लोकतंत्र को जिंदा रखने और छात्रों न्याय दिलाने के लिए कैलाश सत्यार्थी को हमारी बात सुननी होगी । छात्र संघ बहाली के लिए हमारी मदद करें । हंगामे की आशंका के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिला प्रशासन से भारी सुरक्षा बल की मांग भी की है । साथ ही विश्वविद्यालय में आमंत्रित आगंतुकों और छात्र के लिए पास जारी करने की व्यवस्था की गई है। जिससे किसी भी तरह से छात्र नेताओं का प्रवेश कैंपस में ना हो सके। वही इस बीच पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने मुख्य अतिथि कैलाश सत्यार्थी को पत्र लिख कर सनसनी फैला दी है ।

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कैलाश सत्यार्थी को ऋचा का पत्र

पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने लिखा है की जब आपको मैं यह पत्र लिख रही हूँ तो बेहद उहापोह की स्थिति में हूँ कि मुझे यह पत्र आपको लिखना चाहिये या नहीं। चूंकि आप देश के उन प्रतिष्ठित एवं सम्मानित विभूतियों में से एक हैं। जिन्होंने सिर्फ देश को नोबेल ही नहीं दिया है बल्कि अपने नोबेल के महान कार्यों से भारत देश के दिल यानि बच्चों के न जाने कितने असंख्य बचपन को संवार कर आने वाली युवा पीढ़ी को देश के विकास में भागीदार बनने के क़ाबिल बनाया है।पर न जाने ऐसा क्या हुआ कि जब पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आप आ रहे हैं तो विश्वविद्यालय के 30 हज़ार युवा दिल खोलकर आपका स्वागत कर पाने में हिचक महसूस कर रहे हैं। इसका कारण है विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर जिनके साथ आपको मंच साझा करना है।

ऋचा ने चिठ्ठी में लिखा है की इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति पर ऐसा कोई आरोप नहीं है जो न लगा हो। 20 से अधिक कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट,आर्थिक अनियमितता पद के दुरुपयोग करते हुए महिलाओं का शोषण,शिक्षक भर्ती में भष्ट्राचार, जिनकी जांच चल रही है। पत्राचार कर्मियों से उनकी रोज़ी- रोटी छीन लेना शिक्षकों का अपमान छात्रसंघ के पदाधिकारियों का अपमान। जिनके चलते मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा वर्तमान शिक्षक भर्तीयों पर भी रोक लगा कर कुलपति पर जांच बैठा दी गयी है। इन्हीं जांच कारणों के चलते केंद्रीय एवं 132 साल का गरिमामयी इतिहास समेटे हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आने की सहमति विश्वविद्यालय के विज़िटर यानि महामहिम राष्ट्रपति महोदय विश्वविद्यालय की रेक्टर माननीय राज्यपाल महोदयए उत्तर प्रदेश ने भी नहीं दी।

ऋचा सिंह ने लिखा है की उत्तराखंड की माननीया राज्यपाल महोदया बेबी रानी मौर्या जी ने पूर्व में सहमति देने का बावजूद वस्तुस्थिति से अवगत होने के बाद आपके समारोह में आने में अपनी असमर्थता विश्वविद्यालय को ज़ाहिर कर दी है। इन्हीं अव्यवस्थाओं के चलते विश्वविद्यालय के एक बेहद मेधावी गोल्डमेडलिस्ट पुरा छात्र ने श्दीक्षांत समारोह का बहिष्कार करते हुए कुलपति के हाथ से डॉक्टरेट की उपाधि लेने से मना कर दिया है। शायद यही कारण है जिसके चलते विश्वविद्यालय ने भी स्वयं आम छात्रों की उपस्थिति को कार्यक्रम में प्रतिबंधित कर रखा है।

महोदय हम सबको इस बात का बहुत अफ़सोस और बेहद पीड़ा है कि जिस नोबेल विजेता के बारे में हम सुनते थे। प्रेरणा लेते थे आपके प्रेरणादायी वक्तव्य को सुनने और देखने की प्रबल इच्छा हम सब छात्रों युवाओं के भीतर थी। वर्तमान परिस्थितियों में हम इलाहाबाद विश्वविद्यालय में न आपका स्वागत कर पायेंगे। बल्कि भारी मन से यह कहना पड़ रहा है कि पूरे छात्रसंघ ने वर्तमान व पूर्व इस दीक्षांत समारोह का बहिष्कार कर इसमें शामिल न होने का निर्णय लिया है। महोदय से आपसे अधिक कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाने के समान है। हम युवाओं को आपके विवेक पर पूरा भरोसा है । और अंतिम निर्णय आपका होगा। उम्मीद है कि आप अपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इन बच्चों की पीड़ा को समझने का प्रयास करेंगे।

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