न्यायालय ने क्या-क्या कहा ग्राम पंचायत चुनाव और बंगाल विधानसभा चुनाव ने काफी लोगों को संक्रमित किया। इससे लोग मौत के मुंह में गए। अब फिर से यूपी में विधानसभा चुनाव निकट है। इसके लिए सभी पार्टियां रैली, सभाएं करके लाखों की भीड़ जुटा रही हैं। रैलियों में किसी भी प्रकार से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना संभव नहीं है। इसे समय रहते नहीं रोका गया, तो स्थिति दूसरी लहर से ज्यादा भयावह होगी। ऐसी दशा में चुनाव आयुक्त से न्यायालय का अनुरोध है कि इस प्रकार की रैली और सभाओं पर तत्काल रोक लगाए। आयुक्त पार्टियों को आदेशित करें कि वह अपना प्रचार दूरदर्शन और समाचार पत्रों के माध्यम से करें। संभव हो तो फरवरी में होने वाले चुनाव को भी एक-दो महीने के लिए टाल दें। जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी। जीवन का अधिकार हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भी दिया गया है।
भीड़ पर नहीं लगी रोक तो परिणाम खतरनाक होगा परिणाम हाईकोर्ट ने कहा कि दूसरी लहर में लाखों की संख्या में लोग कोरोना संक्रमित हुए और लोगों की मृत्यु हुई। ग्राम पंचायत चुनाव और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव ने लोगों को काफी संक्रमित किया, जिससे लोग मौत के मुंह में गए। अब यूपी विधानसभा का चुनाव निकट है। सभी पार्टियां रैली, सभाएं करके भीड़ जुटा रहीं हैं, जहां किसी भी प्रकार का कोरोना प्रोटोकॉल संभव नहीं है और इसे समय से नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से कहीं अधिक भयावह होंगे।
कोर्ट में नहीं होती है सोशल डिस्टेंसिंग न्यायमूर्ति जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा कि इस न्यायालय के पास करीब 400 मुकदमे सूचीबद्ध हैं। इसी प्रकार से रोज मुकदमे सूचीबद्ध होते हैं। इस कारण बड़ी संख्या में अधिवक्ता आते हैं। उनके बीच किसी भी प्रकार की सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होती है। वह आपस में सटकर खड़े होते हैं, जबकि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। साथ ही तीसरी लहर आने की संभावना है।