याचिका पर अधिवक्ता राम कुमार सिन्हा ने बहस की है। दलील पेश करते हुए कहा कि याची की 7 मार्च 95 में कनिष्ठ अभियंता पद पर तदर्थ नियुक्त किया गया और 11अक्टूबर 2006 में नियमित किया गया। जबकि उसे 9 मार्च 98 से नियमित किया जाना चाहिए। वहीं पर इसी नियमावली के तहत परमानंद मिश्र की तदर्थ नियुक्ति की गई थी। उन्हें 2015 में नियमित किया गया। हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें 1मार्च 2008 से नियमित किया गया।याची से कनिष्ठ होने के बावजूद उन्हें वरिष्ठता देकर पदोन्नति भी दे दी गई है। इसी आधार पर याची को भी 9मार्च 98से नियमित कर सभी लाभ दिया जाए।
सरकार की तरफ से कहा गया कि दोनो के अलग विभाग है। नियमावली भी अलग है। इसलिए समानता का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि 1966 की नियमावली के नियम 31मे की गई थी। सरकार का कथन गलत है। याची भी नियमितीकरण, पदोन्नति व अन्य सेवा जनित लाभ पाने का अधिकार है।