आगरा में दर्ज हुआ था मुकदमा इस मामले में याची के खिलाफ आगरा के ताजगंज थाने में आईपीसी की विभिन्न धाराओं केसाथ कॉपीराइट एक्ट की धारा 63, 65 और ट्रेडमार्क एक्ट धारा 103, 104 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसके बाद याची ने एफआईआर रद्द किए जाने की मांग की थी। याची के अधिवक्ता की ओर से तर्क दिया गया कि मामले में न तो कॉपीराइट का उल्लंघन किया गया है और न ही व्यापार चिह्न अधिनियम का।
पेठा दालमोट के नाम से हुआ किया व्यापार लेकिन मामले में दलील पेश करते हुए प्रतिवादी ने प्रतिद्वंद्विता की वजह से एफआईआर दर्ज कराई है, क्योंकि याची पहले प्रतिवादी के यहां मैनेजर था। लॉकडाउन के दौरान उसने खुद का व्यापार शुरू किया। याची ने प्रतिवादी के ब्रांड नेम पंछी पेठा के नाम का कभी प्रयोग नहीं किया। याची पेठा दालमोठ के नाम से पेठा और दालमोठ का व्यापार कर रहा है। इसके बावजूद याची को झूठा फंसाया गया है।
दस्तावेज से कॉपीराइट का आरोप है सही पंक्षी पेठा मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज साक्ष्यों में यह आभास हो रहा है कि याची अपने उत्पाद में पक्षी लोगो का इस्तेमाल कर आगे पेठा लिखकर उसका व्यवसाय कर रहा है, जोकि प्रतिवादी की फर्म पंछी पेठा के ब्रांडनेम का प्रतिनिधित्व करता है, इस मामले में याचिका पोषणीय नहीं है। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी।