इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए अपील स्वीकार कर ली गई। निचली अदालत के आक्षेपित निर्णय एवं आदेश को रद्द कर किया गया। मृत्युदंड की पुष्टि के लिए भेजे गए संदर्भ का उत्तर नकारात्मक दिया गया और मृत्युदंड की पुष्टि करने के लिए की गई प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने मुख्य रूप से जो पूरी घटना की चश्मदीद गवाह थी और मृतका के पोतेजो परिस्थिति के आधार पर चश्मदीद गवाह माना गया द्वारा दिए गए बयानों का विश्लेषण किया। गवाही के बारे में, कोर्ट ने कहा कि महिला ने कहा था कि जब वह अपने खेत में घास काट रही थी, उसने देखा कि आरोपी वहां आया और मृतका का हाथ पकड़कर उसे गन्ने के खेत में खींच कर अंदर ले गया। जब दूसरे गवाह ने मौके पर पहुंची तो उसने आरोपी को बलात्कार करते देखा और बलात्कार करने के बाद अपीलकर्ता ने पीड़िता की हत्या कर दी और यह सब देखकर वह डर गई और घर चली गई। इसके बाद उसने सारी घटना मृतका के पति को बता दी।
कोर्ट ने कहा कि ने यह खुलासा नहीं किया कि क्या मृतका ने शोर मचाया था और क्या उसने मृतका की चीखें सुनीं और क्या मृतका ने आरोपी का विरोध किया था। इन परिस्थितियों में, कोर्ट ने कहा कि वह कैसे मान सकती है कि आरोपी-अपीलकर्ता ने मृतका के साथ दुष्कर्म किया था। कोर्ट ने आगे कहा कि घटना के दिन से ऐसी कोई जानकारी मिलने से इनकार किया था, और द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर से भी यही पता चलता है।