लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस मंजू रानी चौहान ने शिव सिद्धार्थ के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत दायर चार्जशीट को रद्द करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार अपनी विशेष जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के साथ आता है। यह नागरिकों को जिम्मेदारी के बिना बोलने का अधिकार प्रदान नहीं करता है। ना ही यह किसी को कुछ भी कह देना का लाइसेंस है।
क्या था मामला
शिव सिद्धार्थ पर व्हाट्सएप पर देवी दुर्गा पर अपमानजनक टिप्पणी वाले आपत्तिजनक मैसेज करने का आरोप है। इसमें पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। जिसमें उसके खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। सिद्धार्थ ने इस चार्जशीट को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। अदालत ने पाया कि पुलिस ने आवेदक के खिलाफ लगाए गए आरोप सही पाए हैं। इस पर कोर्ट ने उसे राहत देने से इंकार कर दिया और चार्जशीट को कायम रहने दिया।