आम और सीताफल सहित अन्य फल के नाम से प्रसिद्ध अलीराजपुर जिला हमेशा से अनदेखी का शिकार होता आ रहा है। यहां पर ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली आम, सीताफ ल, जामुन, महुआ सहित अन्य उपज का उचित दाम प्रशासन की अनदेखी के कारण किसानों को नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से अलीराजपुर जिले का आदिवासी किसान अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए गुजरात सहित अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए पलायन कर रहे हैं।
चौक-चौराहों पर कौड़ियों के भाव बेचने को विवश
इन दिनों सीताफ ल की पैदावार जमकर हो रही है। बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण महिला-पुरुष ग्रामीण क्षेत्र से सीताफ ल बेचने के लिए अलीराजपुर आते हैं, लेकिन उसको उचित दाम नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि यहां इसके लिए मंडी नहीं है। प्रशासन के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अलीराजपुर जिले में जो मंडी है वह आम मंडी के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंडी में पूरे वर्ष में केवल आम की ही मंडी लगती है। वहीं सीताफ ल, जामुन के लिए आदिवासी किसानों को चौक-चौराहों पर टोपलो के माध्यम से कम दाम पर अपनी फ सल बेचना पड़ रही है। अगर प्रशासन के द्वारा मंडी लगाकर अधिकारी की ड्यूटी लगाकर अगर बोली लगाई जाए तो किसानों को उनकी फ सल का अच्छा दाम मिल सकता है।
स्थानीय फलों के लिए व्यवस्थित मंडी की मांगआदिवासी किसान सीताफ ल को तोड़कर टोकरों में भरकर लाते हैं, जिसका दाम उन्हें 150 से 200 रुपए प्रति टोकरी मिल रहा है। अगर किलो से देखा जाए तो 5 से 6 रुपए प्रति किलो के भाव में आदिवासी किसान का सीताफ ल बिक रहा है, जबकि यही सीताफ ल आलीराजपुर से भरकर इंदौर, उज्जैन सहित गुजरात और महाराष्ट्र जा रहा है, जहां पर 100 रुपए से अधिक दाम में यह सीताफ ल बेचा जा रहा है।
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सरकार द्वारा किसानों को फसलों के उचित दाम उपलब्ध करवाने के बड़े-बडे दावे किए जा रहे हैं, वहीं इन गरीब किसानों को उनकी फ सल का उचित दाम दिलाने के लिए प्रशासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। सीताफल बेचने वाली सोमकुआं की बोरली, सेकड़ी, रमतू ने बताया कि हम कौड़ियों के भाव अपनी फसल बेचने को विवश हैं। सरकार से मांग है कि अन्य फसलों की तरह स्थानीय स्तर के फलों के लिए भी एक मंडी होना चाहिए, जहां हमारी फसलों का उचित भाव मिल सके।