महाराणा प्रताप कॉलोनी से सटे एवं हाथीखेड़ा के गांव कनाडिय़ा में संचालित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में मात्र दो शिक्षिकाएं हैं, जो पांच कक्षाओं के 107 बच्चों को पढ़ा रही हैं। विद्यालय को एक एनजीओ की मदद से निजी विद्यालय की तर्ज पर बनाने का भी प्रयास किया गया है। यही वजह है कि सरकारी विद्यालय के बावजूद इन बच्चों के लिए विशेष गणवेश, टाई एवं पहचान पत्र (आईडी), जूते मौजे आदि उपलब्ध कराए गए हैं। आप जैसे ही विद्यालय में प्रवेश करते हैं तो बच्चे प्रणाम करने एवं अभिवादन को आतुर रहते हैं। छोटे से गांव में प्राथमिक विद्यालय में इतने अधिक नामांकन के बावजूद न तो प्रतिनियुक्ति पर शिक्षक-शिक्षिका को लगाया गया है और न किसी को तबादला कर नियुक्त किया गया है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका की ओर से कई बार जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक को इस संबंध में अवगत भी कराया गया है, मगर आज तक यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि शिक्षा की गुणवत्ता दो शिक्षिकाओं में कैसे संभव हो पाएगी, हालांकि यहां शिक्षण के चलते ही चार वर्षों में नामांकन 30 से 65 और अब 107 तक पहुंचा है। मगर 5 कक्षाओं में पढ़ाने के साथ, सरकारी सूचनाओं का आदान-प्रदान दो शिक्षिकाओं के लिए संभव नहीं है। इनका कहना है…
वर्ष 2016 में विद्यालय में 30 बच्चों पर दो का स्टाफ था। इसके बाद 65, 85 और अब 107 का नामांकन हो गया। इसके बावजूद स्टाफ नहीं बढ़ाया गया है, विद्यालय संचालन में परेशानी आ रही है।
सरिता यादव, प्रधानाध्यापिका, रा.प्रा.वि. कनाडिय़ा इस वर्ष ही यहां नामांकन बढ़ा है, जल्द व्यवस्था करने का प्रयास किया जाएगा। अरुण कुमार शर्मा, अति. जिशिअ (प्रारंभिक)