घरों व कार्यालयो में स्थापित प्लांट से सोलर एनर्जी के जरिए उत्पादित बिजली ग्रिड को भेजी जाती है। उपभोक्ता के घर अथवा कार्यालय परिसर में उपयोग मे ली गई डिस्कॉम की बिजली से नेट मीटरिग के जरिए इसकी तुलनात्मक गणना होती है। इसके आधार बिजली का बिल जारी होता है। यदि उपभोग कम किया गया है और ग्रिड को अधिक बिजली भेजी गई है तो घरेलू उपभोक्ता को 3 रूपए प्रति यूनिट के हिसाब से राशि का भुगतान भी होता है। अब लोग घरों पर 5 किलोवाट के सोलर प्लांट लगाने पर जोर दे रहे है। इस पर सरकारी सब्सीडी भी मिलती है। इस प्लांट के जरिए एसी सहित बिजली घ्रर की खपत को पूरा किया जा सकता है इलेक्ट्रिक वाहन भी चार्ज किए जा सकते हैं।
सौरऊर्जा में आत्मनिर्भर बन रहा शहर अजमेर शहर के विभिन्न सरकारी कार्यालय तथा निजी भवन अपनी ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए सोलर प्लांट लगा रहे हैं। अब तक अजमेर डिस्कॉम, एडीए, नगर निगम, मसाला अनुसंधान केन्द्र, माध्यमिक शिक्षा बोड, रीजनल कॉलेज,एमडीएस यूनीवर्सिटी,मेयो, जीसीए,नसीराबाद कॉलेज, संस्कृति स्कूल सहित कई अन्य निजी संस्थानों व घरों पर कुल मिलाकर तीन हजार किलोवाट तक के सोलर प्लांट लगाए गए हैं। जो अपनी बिजली जरूरत को पूरा करने के साथ ही बिजली बेच रहे हैं। रेवन्यू बोर्ड में रेक्सो मॉडल पर सोलर प्लांट लगाने की प्रक्रिया चल रही है।
ग्रीन अजमेर के तहत 25 करोड़ स्वीकृत अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत सोलर पावर पैनल ऑन एट पब्लिक बिल्डिंग, ओपन पार्क, आनासागर लेक में इस कार्य के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। ग्रीन अजमेर के तहत शहर में सरकारी भवनों पर रील के जरिए सोलर पैनल लगाने के लिए स्मार्ट सिटी में 25 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी।
एसटीपी पर सरकारी प्लांट आनासागर के किनारे बनाया गया 13.5 एमडीए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) सूरज की रोशन (सौर ऊर्जा) से संचालित हो रहा है। इसके लिए प्लांट की अंदर खाली पड़ी भूमि पर 350 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाया गया है। इस सोलर प्लांट के जरिए उत्पादित बिजली से प्लांट की मशीनरी का संचालन हो रहा है। यह राजस्थान का पहला एसटीपी है जिसका संचालन सोलर प्लांट के जरिए उत्पादित बिजली से हो रहा है। गांधी भवन पर 30 किलोवाट का प्लांट लगाया गया है।
एडीए का बिजली खर्च हुआ आधा अजमेर विकास प्राधिकरण में 84 किलोवाट का सोलर प्लांट स्थापित है। शनिवार तथा रविवार के दिन कार्यालय बंद होने पर सम्पूर्ण बिजली ग्रिड को जाती थी। इससे प्राधिकरण का बिल जीरो से 5 हजार रूपए प्रतिमाह तक ही आता था। लेकिन सरकार के नए नियमों के तहत उपभोग लाइव होने के दौरान ही गणना का प्रावधान किए जाने से अब एडीए अपनी भवन के बिजली के बिल का एक लाख रूपया चुकाता है। जबकि सोलर प्लांट जब तक नहीं लगा था तब तक बिल प्रतिमाह 2 लाख रूपए तक आता था।