विश्वविद्यालयय में विभागवार नए शिक्षकों की भर्ती होनी है। इनमें विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और अन्य संकाय के विषय शामिल हैं। कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली ने पदभार सम्भालने के बाद नियुक्तियों को प्राथमिकता दी। बीती 6 जुलाई को विश्वविद्यालय ने विभिन्न शैक्षिक पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे।
इन विषयों में भर्तियां बॉटनी-2, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री-1, गणित-1, जूलॉजी-2, इकोनॉमिक्स-1, भूगोल-1, इतिहास-2, राजनीति विज्ञान-2, समाजशास्त्र-1 यूजीसी-मंत्रालय ने लगाई रोक
आरक्षण नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों में भर्ती रोकने को कहा है। आरक्षण नीति से जुड़े मामले में 13 अगस्त को सुनवाई की संभावना है। तब तक सभी विश्वविद्यालयों में नई भर्तियां, साक्षात्कार प्रक्रिया अटकी रहेगी। इसमें महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय भी शामिल है।
भर्तियां यानि हर बार मुसीबत मदस विश्वविद्यालय में शैक्षिक भर्तियां हर बार मुसीबत रही हैं। साल 2007 में विश्वविद्यालय ने शिक्षकों के सात पदों के लिए साक्षात्कार कराए गए थे। भर्ती में आरक्षण का ध्यान नहीं रखने, देर रात तक साक्षात्कार कराने जैसी शिकायतों पर तत्कालीन राज्यपाल ए. आर. किदवई ने विश्वविद्यालय प्रबंध मंडल की बैठक और लिफाफे खोलने पर रोक लगा दी। वर्ष 2009 में तत्कालीन राज्यपाल एस. के. सिंह ने भर्ती प्रक्रिया के तहत लिफाफे और पैनल निरस्त कर दिए थे। साल 2016 में भी 22 पदों के लिए आवेदन मांगे गए। हाईकोर्ट में रोक, स्थाई कुलपति नहीं होने और तकनीकी कारणों से भर्तियां अटक गई। मात्र जूलॉजी और बॉटनी विभाग में ही प्रोफेसर की नियुक्ति हो पाई।
प्रवेश पत्र अपलोड हुए तो परीक्षा, वरना तिथि बढऩा तय राजस्थान लोक सेवा आयोग की आरएएस एवं अधीनस्थ सेवाएं (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा सीधी भर्ती)-2018 का काउंटडाउन शुरू हो गया है। अगले दस दिन आयोग और अभ्यर्थियों के लिए खास हैं। इसमें प्रवेश पत्र अपलोड हुए तो परीक्षा होगी। वरना इसकी तिथि आगे बढऩा तय है।
आयोग ने 5 अगस्त को आरएएस प्रारंभिक परीक्षा-2018 कराने तय किया है। आयोग को 5.10 लाख से ज्यादा आवेदन भी मिल चुके हैं। लेकिन आयोग में अंदरूनी स्तर पर परीक्षा की तैयारियां दिख नहीं रही। स्थाई अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष नहीं होने से पेपर छपाई तक नहीं हुई है।
सरकार और आयोग को किरकिरी का डर
चुनावी साल में सरकार और आयोग को अपनी किरकिरी का डर है। जुलाई में दो बार फुल कमीशन की बैठक हो चुकी है। फिर भी आरएएस प्री. परीक्षा-2018 कराने अथवा तिथि आगे बढ़ाने का मुद्दा नहीं रखा गया। दरअसल आयोग को उम्मीद थी कि सरकार स्थाई अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर देगी। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। आयोग के सदस्य भी साफ तौर पर बड़ी जिम्मेदारी लेने से बचते दिख रहे हैं।