सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, राजकीय कन्या महाविद्यालय, दयानंद कॉलेज, लॉ कॉलेज, श्रमजीवी कॉलेज, राजकीय संस्कृत कॉलेज और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में प्रत्याशी और उनके समर्थक पहुंचना शुरू हो गए। नामांकन से पहले एनएसयूआई अैार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी और समर्थकों ने रैली निकाली। वे ढोल-ढमाकों पर जमकर नाचे। प्रत्याशी ने मंदिरों में धोक लगाने और पूजा-पाठ के बाद नामांकन किया।
दिखाया नेताओं ने रुतबा छात्रसंघ चुनाव में भावी नेताओं ने रुतबा भी दिखाया। प्रत्याशी साधारण ओपन जीप-कार के अलावा महंगी ऑडी, पजेरो और फॉच्र्यूनर कार लेकर नामांकन के लिए पहुंचे। इसके अलावा स्कूटी, बाइक्स का जमघट नजर आया। इससे चुनाव खर्च लाखों में पहुंचने की उम्मीद है। जबकि जे. एम. लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार प्रत्येक प्रत्याशी को छात्रसंघ चुनाव में महज ५ हजार रुपए खर्च करने की इजाजत है।
आईकार्ड से मिली जाने की इजाजत
सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसर में पुलिसकर्मियों और चुनाव कमेटियों की सख्ती रही। शिक्षकों-स्टाफ और पुलिस ने छात्रसंघ पदाधिकारियों, प्रत्याशियों और उनके समर्थकों ने आईकार्ड देखे। इसके बाद ही उन्हें नामांकन फार्म भरने के लिए प्रवेश मिल पाया। सख्ती के कारण कभी संस्थाओं में शांतिपूर्ण ढंग से नामांकन प्रक्रिया हुई। अलबत्ता सभी संस्थाओं के आसपास चाय की थडिय़ों, दुकानों, सडक़ों-चौराहों पर नारेबाजी, ढोल-ढमाके बजते रहे।
मुश्किल से मिले टिकट अंदरूनी स्तर पर छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के प्रदेश और स्थानीय नेताओं का दखल दिखा। एनएसयूआई और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कड़ी मशक्कत के बाद प्रत्याशी तय किए। टिकट के लिए दोनों छात्र संगठनों में अंदरूनी घमासान चला। प्रत्याशियों को लेकर कई बार जोड़-तोड़ हुए। कुछ प्रत्याशियों के जातिगत समीकरण और छवि को परखने के बाद उन्हें मैदान में उतारा गया।
हवा में उड़ाए कायदे-कानून…
यूं तो छात्रसंघ चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों पर कराए जाते हैं। छात्र-छात्राओं से कॉलेज और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय इसकी अनुपालना का दावा करते हैं। लेकिन नामांकन के दौरान कायदे-कानून हवा में उड़ गए। जिला प्रशासन, नगर निगम के दावों के बावजूद शहर में कई स्थानों पर अनाधिकृत पोस्टर चिपके रहे। इसके अलावा नामांकन के दौरान सडक़ों पर प्रत्याशियों और उनके समर्थकों ने जमकर पेम्पलेट उड़ाए। सडक़ों पर पेम्पलेट ही पेम्पलेट दिखाई दिए।