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अजमेर

जाइए साहब चुका देंगे भारी-भरकम बिल, नहीं करेंगे इतना सा काम

हर महीने लाखों रुपए का बिजली चुकाने को तैयार हैं। लेकिन सौर ऊर्जा पैनल और प्लान्ट लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

अजमेरApr 18, 2019 / 05:29 am

raktim tiwari

Renewable Energy

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

बिजली की बचत के लिए देश भर में सरकारी महकमे और निजी संस्थान सौर ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। लेकिन अजमेर के कई सरकारी महकमों को इससे इत्तेफाक नहीं है। वे हर महीने लाखों रुपए का बिजली चुकाने को तैयार हैं। लेकिन सौर ऊर्जा पैनल और प्लान्ट लगाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। जबकि सौर ऊर्जा उपयोगिता से उन्हें आर्थिक फायदा हो सकता है।
बिजली की खपत कम करने, प्रदूषण घटाने और ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्त्रोत को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में सौर ऊर्जा का उपयोग होने लगा है। अजमेर में भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, नसीराबाद का गोविंद सिंह गुर्जर राजकीय महाविद्यालय, एडीए सहित सीबीएसई के कई स्कूल ने सौर ऊर्जा प्लान्ट और पैनल लगवाए हैं। ये संस्थाएं सौर ऊर्जा उत्पादन कर रही है। साथ ही अपनी खपत के बाद अतिरिक्त बिजली अजमेर डिस्कॉम को बेचकर प्रतिमाह लाखों रुपए का फायदा भी उठा रही हैं। इसके बावजूद कई सरकारी विभाग सौर ऊर्जा की उपयोगिता से दूर हैं।
यह संस्थाएं नहीं चाहती बचत

अजमेर में लॉ कॉलेज,राजकीय कन्या महाविद्यालय, यूथ हॉस्टल, राजस्थान लोक सेवा आयोग, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला उद्योग केंद्र, राजस्थान पर्यटन विकास निगम के होटल-दफ्तर, सर्किट हाउस सहित केंद्र सरकार से जुड़े दफ्तरों में सौर ऊर्जा का उपयोग नहीं हो रहा। इन विभागों ने सौर ऊर्जा पैनल लगवाने में रुचि नहीं दिखाई है। कई निजी स्कूल- कॉलेज भी सौर ऊर्जा उपयोगिता से दूर हैं। संस्कृत के लोहागल रोड स्थित नए भवन में भी सौर ऊर्जा का प्रावधान नहीं है।
सीबीएसई दे चुका निर्देश
सीबीएसई सभी स्कूल को परिसर में धीरे-धीरे सौर पैनल लगाने के निर्देश दे चुका है। इसके भारत सहित दुबई, शारजाह, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर और अन्य स्थानों पर स्कूल हैं। देश में करीब 31 लाख से ज्यादा विद्यार्थी बोर्ड से सम्बद्ध जवाहर नवोदय, केन्द्रीय विद्यालय सहित सरकारी, निजी और पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत हैं। मालूम हो कि इन स्कूल में पढ़ाई के दौरान टीवी-प्रोजेक्टर, कम्प्यूटर, प्रयोगशाला, दफ्तर, कक्षाओं और गलियारों, परिसर में बिजली का उपयोग होता है।
कई संस्थाओं ने लगवाए पैनल

अजमेर में स्कूल और संस्थाओं ने परिसर में सौर ऊर्जा पैनल लगाने की शुरुआत की है। अजमेर में मयूर और कुछेक स्कूल ने उच्च क्षमता के सौर पैनल लगाए हैं। देश के अन्य राज्यों में भी स्कूलों ने सौर पैनल लगाए हैं, लेकिन यह आंकड़ा 20-30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है।
भवनों को बनाएं ईको-फे्रंडली
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, शहरी विकास और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूल-कॉलेज और सरकारी महकमों को कार्बन फ्री बनाने के निर्देश भी दिए हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने भी सौर ऊर्जा पैनल लगाने के अलावा भवनों को ईको फे्रंडली बनाने को कहा है। ताकि कमरोंऔर गलियारों में सूरज की रोशनी भरपूर आए। गर्मियों में भवनों में ठंडक और सर्दी में गर्माहट रहे।
यह होंगे फायदे

-वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद
-मासिक बिजली के बिल में कमी

-अपनी बिजली की खपत के बाद राज्यों के बिजली घरों को देंगे बिजली
-कर्मचारियों, अधिकारियों, विद्यार्थियों अैार आमजन में बढ़ेगी जागरुकता

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