
सर मैं भी आपकी तरह टीचर बनूंगी
सरमथुरा. कहते हैं, जहां चाह होती है, वहां राह अवश्य निकलती है। एक ऐसी ही बेटी की शैक्षणिक चाह को समझ कर राह बदलने का बीड़ा उठाया है राजकीय प्राथमिक विद्यालय नारायनपुरा के स्तरीय सम्मानित शिक्षक राहुल शर्मा ने। नारायनपुरा गांव की ही एक बालिका अंकिता, जो कक्षा & में स्थानीय विद्यालय में अध्ययनरत है। पढ़ाई- लिखाई में बेहद होशियार है। लेकिन अभावों की बेडिय़ों ने इस कदर जकड़ा हुआ है कि शिक्षा विभाग के कार्यक्रम स्माइल &.0 की वर्कशीट को करने के लिए पैन भी उपलब्ध नहीं है। बालिका सात बहनों में सबसे छोटी है तथा पिता सिलिकोसिस से पीडि़त हैं।
आय का कोई साधन नहीं है। रोज की तरह शिक्षक राहुल छात्रा के घर पर गृह कार्य देने गए, तो छात्रा रो रही थी। संसाधन नहीं होने की वजह से गृह कार्य भी नहीं कर पाई, जबकि पढऩे के प्रति इतना लगाव है कि पड़ोस के ब'चों से पैन, पुस्तिका मांग कर व उनके गृह कार्य को देखकर ही सारा शिक्षण कार्य तुरंत सीख जाती है।
ऐसी दशा देखकर शिक्षक राहुल शर्मा ने सोचा कि क्यों ना इसको शिक्षा प्राप्त करने के लिए वक्त पर उचित संसाधन उपलब्ध हो तो आगे चलकर समाज गांव व परिवार का नाम रोशन कर पाएगी। शिक्षक ने उसके माता-पिता की सहमति से छात्रा की शिक्षा पर होने वाले व्यय की संपूर्ण जिम्मेदारी ली। जब तक वह मुकाम हासिल नहीं कर लेती, शिक्षक की तरफ से संपूर्ण शिक्षक सामग्री मुहैया कराई जाएगी। ऐसा सुनकर बालिका और माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और कहने लगे कि अब मेरी भी बेटी पढ़ेगी। आगे बढ़ेगी और बालिका बोली- सर मैं भी आपकी तरह टीचर बनूंगी।
Published on:
14 Aug 2021 01:37 am
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