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अजमेर

सिसकती रही मानवता देखते रहे लोग ,कफन भी ना मिला उसे मौत के समय इस दर्दनाक घटना को पढ़ कर आपकी भी रूह कांप जाएगी

पार्र्किंग में खड़े टेम्पो में विलाप करती मां एवं अन्य महिला विधाता को कोस रही थीं।मर गई भावनाएं, मृत हो गई मानवता, काश!

अजमेरNov 24, 2017 / 12:15 pm

Chandra Prakesh joshi

shameless :hospital staff not provide shroud to death body

चंद्रप्रकाश जोशी /अजमेर. पार्र्किंग में खड़े टेम्पो में विलाप करती मां एवं अन्य महिला विधाता को कोस रही थीं। पास खड़ा किशोर दोनों को ढाढस बंधा ही रहा था कि कैज्युल्टी से ट्रॉली पर शव को एम्बुलेंस तक लेकर आते दोनों शख्स इंसानियत पर तंज कस रहे थे। मर गई भावनाएं, मृत हो गई मानवता, काश! अस्पताल के कार्मिकों का रवैया मानवीय होता, शव को ढकने के लिए चद्दर तक उपलब्ध नहीं करवा पाए। शव को चद्दर ओढ़ाना तो दूर चेहरा ढकने तक का कपड़ा उपलब्ध नहीं करवा पाए।
संभागीय मुख्यालय के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में ब्रॉडडेथ केस में आए दिन इस तरह की दर्दनाक तस्वीरें देखने को मिलती हैं। भावनाओं से शून्य कथित नर्सिंगकर्मियों व चिकित्सकों ने ब्रॉडडेथ पहुंचे मरीज को देखते ही मृत तो घोषित कर दिया। सामान्य मौत का मामला देखकर साथ आए युवकों को शव ले जाने को कह दिया। ट्रॉली पर शव को लेटाने के लिए न तो कोई वार्डबॉय न कोई ट्रॉली मैन उपलब्ध हुआ। यही नहीं शव के चेहरे को ढकने के लिए दो गज कपड़ा तक नहीं दिया गया। जबकि मानवीय आधार पर अस्पताल से पुराना चद्दर उपलब्ध करवाया जा सकता है।

भीड़ जुटी पर नहीं की किसी ने मदद

ट्रॉली में खुले में शव को लेकर बाहर आते समय हर कोई शव को देखने लगा। मगर एम्बुलेंस में शव को लेटाने के लिए एक भी व्यक्ति या कर्मचारी आगे नहीं आया। बाद में एक युवक व एम्बुलेंस चालक ने शव को अंदर लेटाया।
इस लिए ढकना जरूरी-शव का चेहरा व शरीर ढक कर सम्मान दिया जाना जरूरी है।
-एम्बुलेंस में परिजन के समक्ष शव को खुले में रखने से भावनाएं होती हैं आहत।
-शव उतारते समय लोगों के मन में नकारात्मक भाव रोकने के लिए ढकना आवश्यक।

मृत्यु प्रमाण पत्र लेना भी मुश्किल
जेएलएन अस्पताल में ब्रॉडडेथ मरीजों के शव (सामान्य मृत्यु) की एंट्री किए बिना लौटा देने से मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए नगर निगम के चक्कर काटने पड़ते हैं। प्राकृतिक मौत होने की स्थिति में एंट्री कर मृत्यु प्रमाण पत्र अस्पताल की ओर से भी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
भामाशाह की ली जाए मदद
अस्पताल प्रशासन की ओर से रसूखदार परिवार के शव के लिए चद्दरें उपलब्ध करवाई जाती है। अगर नियम नहीं भी हो तो भामाशाह व स्वयंसेवी संस्थाओं से मदद मंगवाकर जरूरतमंद व्यक्ति की मृत्यु पर शव ढकने के लिए कफन/ चद्दर उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।

अस्पताल में मृत्यु होने पर शव को चद्दर उपलब्ध करवाया जाता है। हालांकि पृथक से व्यवस्था नहीं है। अगर इस ब्रॉडडेथ केस में चद्दर नहीं दी गई है तो जानकारी करवा कर भविष्य के लिए व्यवस्था करवाई जाएगी।
-डॉ. अनिल जैन, अधीक्षक जेएलएन अस्पताल

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