कारसेवकों का जत्था हो गया था बारात में तब्दील, सोनी बने थे ‘दूल्हा’, जानिए पूरी कहानी
मेरे हाथ से बहते खून को देख अन्य कारसेवकों ने बताया कि आपको गोली लगी है। हाथ की कोहनी के नीचे लगी गोली के निशान दिखाते योगेश ने बताया कि कारसेवकों के शवों को सरयू नदी में फेंका जा रहा था। यह देख कई कारसेवक पुल पर पत्थरबाजी कर आगे बढ़ने लगे, तभी मेरे हाथ में गोली लगी। कुछ कारसेवकों ने एम्बुलेंस से मुझे सरकारी अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद फैजाबाद रेफर कर दिया। 9 दिन अस्पताल में उपचार के बाद जबरन डिस्चार्ज कर दिया। इसके बाद वे जयपुर आ गए। जयपुर स्थित संघ कार्यालय में करीब 6 माह तक रहे, उनका इलाज भी एसएमएस अस्पताल में चलता रहा।
200 साल पहले अयोध्या के मंदिर में दर्शन के लिए मिलता था टोकन, भगवान श्री राम के जीवन का पूरा उल्लेख
एक रात पहले पसरा था अयोध्या में सन्नाटा
योगेश प्रसाद शर्मा ने बताया कि एक रात पहले तक अयोध्या में सन्नाटा पसरा हुआ था। एक ही मैसेज था कि 30 अक्टूबर को सुबह 9 बजे बाद अयोध्या में प्रवेश करना है। हम लखनऊ से पैदल जंगलों से होते हुए 29 अक्टूबर को अयोध्या के पास पहुंच चुके थे। निर्धारित तिथि पर अयोध्या में प्रवेश किया। अजमेर से जब कारसेवकों का जत्था रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया था। तब मैं भी अजमेर रेलवे स्टेशन पहुंच गया और ट्रेन में बैठ गया।