घटना के करीब 5 घंटे बाद दर्ज किए गए मुकदमे के अनुसार पुलिस ने प्रारिम्भक तौर पर प्रकरण को साधारण मारपीट का माना है। जबकि सुबह 9 बजे तक घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज वायरल हो चुके थे। पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों तक भी यह पहुंच चुके थे। इसके बावजूद थाना पुलिस ने बिना पड़ताल महज शिकायत के आधार पर प्रकरण फिलहाल भादंस की धारा 323, 341, 143 में दर्ज किया। जबकि एफआईआर में पीडि़त की ओर से स्पष्ट बताया गया है कि घटना रात की है और दो गाडि़यों में सरिए डंडे लेकर आए 6-7 लोगों ने स्टाफ रूम में घुसकर मारपीट की। जो लोग सो रहे थे, उनको भी पीटा।
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प्रकरण में अब तक क्या
प्रकरण में अनुसंधान कर रहे सीओ ग्रामीण मनीष बड़गुजर घायल होटल कर्मचारियों का मेडिकल करवाने के बाद उनके और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान ले चुके हैं। प्रकरण में सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कौनसी धारा जोड़ी गई है फिलहाल अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है। सूत्रों के मुताबिक अनुसंधान अधिकारी बड़गुजर की ओर से प्रकरण में और धाराएं जोड़े जाने के लिए विधिक राय लेने की सूचना है।गौरतलब है कि 11 जून की रात को होटल मकराना राज में हुई घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद है।
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शांतिभंग में 5 गिरफ्तार, मुकदमे में अभी तक नहीं
प्रकरण में करीब 12 घंटे बाद पुलिस ने शांतिभंग के आरोप में टोंक के पीपलू बोरखण्डी हाल टोंक के न्यू हाउसिंग बोर्ड निवासी मुकेश कुमार, बरोनी देवली भावी निवासी हनुमान चौधरी, सीकर लोसल हाल फतेहपुर मोहन नगर निवासी मुकेश कुमार, टोंक पीपलू ढुडिया नातड़ी नरेन्द्र चौधरी, नागौर खींवसर हाल जयपुर शिप्रापथ गोपालपुरा निवासी सुरेन्द्र जाट को गिरफ्तार किया। दर्ज प्रकरण में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। यहां तक कि इस मामले में आईपीएस, आईएएस या अन्य किसी को भी नामजद नहीं किया गया।
एक्सपर्ट कमेंट
प्रकरण में साधारण मारपीट का मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि सीसीटीवी फुटेज के अनुसार आईपीएस, आईएएस अधिकारी के साथ अन्य सरकारी कर्मचारी ने रात्रि के समय तैयारी के साथ होटल के स्टाफ रूम में दाखिल होकर होटल स्टाफ से मारपीट की। मारपीट करने वाले कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। उन्होंने पुलिस के साथ पूरी तैयारी के साथ होटल कर्मचारियों के साथ मारपीट की। जिसका सीसीटीवी फुटेज सबसे बड़ा साक्ष्य है। प्रकरण में 323, 341, 143 के साथ आईपीसी की धारा 458, 384 और 385 भी जोड़ी जानी चाहिए।
अजय प्रताप वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता
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इनका कहना है…
घटना के बाद जो रिपोर्ट मुझे दी गई, उसके मजमून से जिन धाराओं का अपराध बनता था। उन्हीं धाराओं में प्रकरण दर्जकर अनुसंधान प्रारम्भ किया गया था। अब अनुसंधान सीओ अजमेर ग्रामीण कर रहे हैं।
सुनील बेड़ा, थानाधिकारी, गेगल