वर्तमान में शहर के 60 वार्डों में 250 टन कचरे का उत्पादन बाजारों,आवासीय कॉलोनी व कच्ची बस्ती में प्रतिदिन होता है। यह कचरा नसीराबाद रोड माखूपुरा एरिया ट्रेचिंग ग्राउंड में वर्ष 1997 से डाला जाता है। माखूपुरा डम्पिंग ग्राउंड पहाड़ी एरिया पर है। 15 दिसम्बर 2019 तक डम्पिगं यार्ड में 360542 क्यूबिक मीटर सॉलिड वेस्ट डाला गया। यहां इस कचरे को किसी भी तरह से प्रोसेस नहीं किया जाता। यह कचरा धीरे-धीरे सड़ता है इससे आसपास के क्षेत्र में दुर्गन्ध का वातावरण रहता है। कचरे में कई बार आग लगने से सड़क व क्षेत्र में धुआं फैल जाता है। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इंदौर में प्रयोग लेकिन सफल नहीं
स्मार्ट सिटी में शुमार किए गए इंदौर शहर में कचरे से सड़क बनाई जा रही है लेकिन वहां प्लास्टिक की बजाय कचरे को ही काम में लिया जा रहा है जो अधिक सफल नहीं है। अजमेर में कचरे से प्लास्टिक को निकाल कर उसे सड़क बनाने के काम में लिया जाएगा।
इनका कहना है
प्लास्टिक के कचरे से बनेगी सड़क स्मार्ट सिटी के तहत होगा निर्माण, बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट के तहत नसीराबाद ट्रेचिंग ग्राउड से कचरा साफ कर जमीन को ट्रीट किया जाएगा। वेस्ट मैटेरियल को अलग-अलग किया जाएगा। यहां से निकले प्लास्टिक के कचरे से सड़क का निर्माण किया जाएगा।
-विश्व मोहन शर्मा, सीईओ स्मार्ट सिटी अजमेर