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अजमेर

सेक्टर रोड व अन्य प्रोजेक्ट के लिए भूमि आवाप्ती मामलों में सरकार को प्रस्ताव भेजने की जरूरत नहीं

यूआईटी/ प्राधिकरण अपने स्तर पर ही कर सकेंगे निपटारा
आदेश जारी

अजमेरJan 29, 2020 / 09:05 pm

bhupendra singh

सेक्टर रोड व अन्य प्रोजेक्ट के लिए भूमि आवाप्ती मामलों में सरकार को प्रस्ताव भेजने की जरूरत नहीं

ada

अजमेर.राज्य सरकार government ने सेक्टर रोड sector road व अन्य प्रोजेक्ट projects के लिए लिए भूमि आवाप्त किए जाने व उसके बदले मुआवजा तथा विकसित भूमि दिए जाने के मामले में महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। यूआईटी/ प्राधिकरण अब आवाप्त भूमि के बदले 25 प्रतिशत विकसित भूमि दे सकेंगे। नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए सांवत के अनुसार नए भूमि आवाप्ति अधिनियम के तहत नगर निकायों पर मुआवजे की नकद राशि का अत्याधिक भार आता है। ऐसे अवाप्त की जाने वाली भूमि के मामलों में जहां तक हो सके भूमि के बदले 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने की कार्यवाही की जाए। नगर विकास न्यास/ प्राधिकरण द्वारा सेक्टर रोड एंव अन्य प्रोजेक्ट के लिए अवाप्त की जाने वाली भूमि के बदले नियमानुसार विकसित भूमि आवंटित किए जाने की कार्यवाही अजमेर विकास प्राधिकरण की धारा 45 एवं राजस्थान नगर विकास न्यास (नगरीय भूमि निष्पादन) नियम 1959 की धारा 51 के तहत ऐसे मामलों के लिए उन्हें सरकार को प्रस्ताव proposal भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ऐसे प्रकरणों का निस्तारण प्राधिकरण अपने स्तर पर ही कर सकेंगे। एल फॉर एल के सैकड़ों प्रकरण लम्बित अजमेर विकास प्राधिकरण में भूमि के बदले भूमि (लैंड फॉर लैंड) से सम्बन्धित सैकड़ों प्रकरण लम्बित चल रहे हैं। इनका निस्तारण नहीं होने के कारण प्राधिकरण की पृथ्वीराज नगर योजना, डी.डी. पुरम योजना, महाराणा प्रताव अन्य योजनाओं का विकास अटका हुआ है। भूमि आवाप्त होने के बादजूद खातेदारों ने भूमि पर कब्जा कर रखा है। कई जगहों पर खातेदार खेती कर रहे हैं। इसके चलते कई आवंटियों को कब्जा भी नहीं सौंपा जा रहा है। योजना में जाने के लिए पहुंच मार्ग ही नहीं है। वहीं खातेदार भूमि के बदले भूमि दिए जाने के लिए एडीए के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। प्राधिकरण में वर्ष 2017 में भूमि के बदले भूमि के दिए जाने वाली कमेटी की बैठक हुई थी।
एल फॉर एल के मामलों में 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने का प्रावधान जानकारों के अनुसार 27 अक्टूबर 2005 से पहले आवाप्त की गई भूमि के मामलों में 15 प्रतिशत विकसित आवासीय भूमि देने का प्रावधान था। जबकि इस तिथि के बाद 25 प्रतिशत विकसित भूमि दिए जाने नियम अस्तित्व में आ गया। वर्तमान में डीडी पुरम योजना में ही 25 प्रतिशत विकसित भूमि के रूप में लैंड फॉर लैंड किया गया है। इसमें 20 प्रतिशत भूमि आवासीय तथा 5 प्रतिशत भूमि व्यावसायिक के रूप में दिए जाने का प्रावधान है। इस प्रकार के मुआवजे के रूप में 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने की स्वीकृति के भी प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज कर स्वीकृति प्राप्त की जाती है।

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